औषधालय आना-जाना बड़ी बात नहीं,
आउटपुट भी होना चाहिए। यह बात कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने गुरूवार को आयुष विभाग के कार्यो की गहन समीक्षा बैठक में कही। कलेक्ट्रेट के बेेतवा सभागार कक्ष में आयोजित इस बैठक में जिला आयुष अधिकारी के अलावा समस्त आयुष डाक्टर, कम्पाउण्डर और औषधि सेवक मौजूद रहे।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने सभी आयुष चिकित्सकों को निर्देशित किया है कि समय पर स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन हो। किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की जांचों के संबंध में विशेष निर्देश देते हुए कहा कि जब तक अस्पताल में डिलेवरी नहीं हो जाती है तब तक आयुष चिकित्सक भी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर नजर रखें। यदि कहीं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में गिरावट आती है तो अविलम्ब उपचार करें ताकि जच्चा, बच्चा दोनो स्वस्थ बनें रहें।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिले में जिन कृषकों के द्वारा औषधियों की खेती की जा रही है। उनसे सम्पर्क करें और कितने रकवा में फसल ली जा रही है। फसल विक्रय के लिए बाजार की सुविधा उपलब्ध कराएं। उन्होंने खासकर अश्वगंधा और सफेद मूसली सहित अन्य औषधियों की खेती के संबंध में विशेष ध्यान देने की बात कही है।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने जिला आयुष अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि विभाग के माध्यम से जो उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं, उन पर आधारित सफलता की कहानियां रिलीज करें ताकि आमजनों तक औषधि के उपचारों की जानकारियां सुगमता से पहुंच सकें।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने आयुष विभाग की विगत तीन वर्षो की ओपीडी में दर्ज मरीजों की प्रक्रिया तथा औषधालयों की रैकिंग, विभागीय देवारण्य योजना की प्रगति, आयुष चिकित्सा की विशिष्टता के बारे में जानकारी प्राप्त की।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने आयुष विभाग के चिकित्सकों को निर्देशित किया है कि विभागीय कोई भी गतिविधियां जैसे शिविरों का आयोजन, पंचकर्म, योग आदि का प्रचार-प्रसार अधिक से अधिक किया जाए। इसी प्रकार देवारण्य योजना के अंतर्गत जिले में औषधियों विशेषकर अश्वगंधा की खेती करने वाले किसानों की सूची तैयार कर जिला कार्यालय को उपलब्ध कराएं। ईएनसी की देखभाल में फलदायी आयुष चिकित्सा का प्रयोग करें।