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असत्य के लिए जीवन जीने वाले का जीवन श्रेष्ठ नहीं होता: आचार्य विशुद्ध सागर जी


एमपी धमाका, विदिशा 

"जीवन की त्रैकालिकता का जिसे बोध होता है वही सत्य की राह पर चलकर सत्य को जी सकता है, यह आत्मा त्रैकालिक एवं अविनाशी है" उपरोक्त उदगार चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्धसागर महाराज ने अतिशयक्षेत्र ग्राम हिरनई में व्यक्त किए। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से कहा कि सत्ता के पीछे तथा अर्थ के पीछे अपनी त्रैकालिक सत्ता को मत ठुकरा देना। यदि सत्य के लिए यह पर्याय भी जाती है तो जाने देना उन्होंने कहा कि जो असत्य के लिये जीवन जीते हैं, उनका जीवन श्रेष्ठ नहीं है, व्यक्ति योग्य है तो भीड़ तो होगी। उस भीड़ को भी संचालन करने के लिए योग्य व्यक्ति चाहिए। यदि अयोग्य व्यक्ति  भीड़ का संचालन करता है, तो धर्म का नाश होगा।
 उन्होंने कहा कि वंश परंपरा का नाश न हो इसलिए चिड़िया अपने बच्चों के लिए दाना लेकर उसके मुंह में डालती है। वह जानती है कि वह जिस बच्चे के मुंह में दाना डाल रही है वह पंख आते ही उड़ जाएगा। 
आचार्य श्री ने माताओं को संबोधित करते हुये कहा कि हे मां भले ही तुम्हारे बच्चे तुमसे नाराज होकर अलग हो जायें। लेकिन आप उनको कभी अलग मत करना, जिसके जीवन में विशालता के विचार होते हैं,वही अपने घर परिवार को चला सकता है,जो स्वयं भोगों में लिप्त है वह क्या अपने परिवार को सम्हालेगा, वह तो बिगड़ा हुआ है ही उसके बच्चे भी नियम से बिगड़ते ही हैं। 
उन्होंने कहा कि समाज की बागडोर कभी भोगी व्यक्ति के हाथ में नहीं देना। यदि धर्म की बागडोर भोगी के हाथ में होगी तो वह धर्म का ही नाश करेगा।उन्होंने कहा कि देखो धर्मात्मा को देखकर यह नन्हे मुन्ने बच्चे भी मुस्कुरा रहे हैं। यह अबोध बालक भी जानते हैं कि हमारे गांव में मुनि महाराज आये हैं। इनके चेहरे देखियेगा कितनी मुस्कुराहट है। 
आचार्य श्री ने कहा कि कभी बच्चों को सिखाने की कोशिश मत करो। जब आप स्वं झुकोगे तो आपको देखकर आपका बेटा खुद झुक जायेगा।
प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि जब प्रातःकाल आचार्य श्री संघ के साथ 28 मुनिराजों ने ग्राम हिरनई में प्रवेश किया तो आसपास के ग्रामीणों ने मुनिसंध की भव्य म़गल अगवानी की। आचार्य श्री ने मूल नायक श्री चंद्रप्रभु भगवान के दर्शन किये एवं उपस्थित सभी श्रावकों ने शुद्ध वस्त्रों के साथ अभिषेक किया तथा आचार्य श्री के मुखारविंद से शांतिधारा संपन्न हुई। धर्मसभा को सम्वोधित किया। इस अवसर जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष तोरन सिंह दांगी तथा हिरनई परिवार एवं सकल दिगंबर जैन समाज समिति ने आचार्य श्री का पाद प्रछालन किया एवं श्री फल अर्पित किये। तत्पश्चात आचार्य श्री एवं समस्त28 मुनिओं की आहार चर्या संपन्न हुई तो चारों ओर नमोस्तू नमोस्तू के स्वर गूंज उठे। इस अवसर पर हिरनई परिवार द्वारा सभी के लिए भोजन व्यवस्था की गयी थी। अंत में क्षेत्र के व्यवस्थापक राहिल बांसल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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