बाजार से देवी देवताओं की मूर्तियां और फोटो लाए, कुछ दिन पूजा पाठ की और बाद में उन्हीं को किसी पेड़ के नीचे अथवा नदी के किनारे रख दिया। क्या यह है भगवानों का अपमान नहीं है। हम हिंदू ही अपने भगवानों का अपमान कर पाप का भागीदार बन रहे हैं। विदिशा के कई मंदिरों और नदी के किनारे मूर्तियां और भगवानों की तस्वीरें लावारिस देखी जा सकती हैं। ऐसी पूजा का कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान होगा। इसलिए सनातन धर्म के मानने वाले लोगों से आग्रह है कि हम अपने देवी-देवता का सम्मान करना सीखें।