एमपी धमाका
वैष्णव चिन्हों को सर्वदा धारण करने से भक्ति बढ़ती है। दुष्ट भूत-प्रेत आदि निकट नहीं आते हैं। यमदूत दूर से नमस्कार करते हैं। ऊर्ध्वपुण्ड्र, तुलसी, गोपी मृतिका धारण करने वाले एवं नाम जापक के हृदय में भगवान अपना निवास स्थान बना लेते हैं। जो लोग केवल भोगों की सामग्री प्राप्त करने के लिए शास्त्रों का अध्ययन करते हैं, प्रवचन करते हैं तद्नुसार आचरण नहीं करते है उनको ज्ञानबन्धु कहा जाता है। जीविका चलाने के लिए कोई कारीगर कला सीखता है जीविका चलाता है उससे परमार्थ सिद्ध नहीं होता है। उसे सुख नहीं मिलता है। जैसे चम्मच दिन भर पकवान मिष्ठान में रहते हुए भी स्वाद नहीं ले सकता है। अतएव अध्ययन के अनुसार आचरण करना चाहिए। अन्यथा चार वेद, धर्म शास्त्र का अध्ययन व्यर्थ है।
पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
परासोली, गोवर्धन,