गोकुल से लौटकर दीपक तिवारी
एमपी धमाका अब आपको ब्रज धाम की यात्रा के अगले चरण में भगवान महादेव के साढ़े पांच हजार साल पुराने एक ऐसे दिव्य मंदिर के दर्शन कराने के साथ ही उसकी महिमा बताने जा रहा है, जहां एक लोटा जल चढ़ाने से सारी चिताओं से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर का माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण से गहरा नाता है।
मथुरा से 25 किलोमीटर दूर महावन क्षेत्र में यमुना तट पर मौजूद चिंताहरण महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने मात्र से सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
ब्रज के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाएं देखने और सुनने को मिल जाएंगी। इन्हीं लीलाओं में से एक लीला है चिंताहरण महादेव की लीला।
मंदिर के महंत श्री केशव दास जी महाराज ने बातचीत के दौरान एमपी धमाका संपादक दीपक तिवारी को बताया कि चिंताहरण महादेव साढ़े पांच हजार साल पहले कैलाश से आकर यहां विराजमान हैं। एक शिवलिंग में 1108 शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
मां यशोदा यमुना किनारे स्थित ब्रह्मांड घाट पर कृष्ण को अपने साथ लेकर जाती थीं। एक दिन जब उन्होंने वहां भगवान श्री कृष्ण को मिट्टी खाते देखा तो मां यशोदा ने कान्हा से मुंह खोलकर दिखाने को कहा था। जैसे ही बाल रूप श्रीकृष्ण ने मुंह खोला तो यशोदा मां को ब्रह्मांड के दर्शन कृष्ण के मुख में हो गए।
इतना देख मां यशोदा चिंता में पड़ गईं और भगवान शिव को पुकारने लगीं। तभी मां यशोदा की पुकार सुन भगवान शिव प्रकट हो गए और माता यशोदा ने यमुना नदी से एक लोटा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक कर अपनी चिंता का कारण बताया। तब भगवान शिव ने माता यशोदा से कहा कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। यह खुद संसार को रचने वाले हैं. तब जाकर मां यशोदा की चिंता दूर हुई, फिर मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान होकर सभी भक्तों की चिंताएं हरने का वचन मांगा। भगवान शिव ने माता यशोदा को वचन दिया। भगवान शिव ने माता यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त एक लोटा जल चढ़ाएगा उसकी सभी चिंताए दूर हो जाएंगी।