जिन्हें लगता है कि पंडित जी आए दो चार मंत्र बोले और 1100 लेकर चले गए , यह फोटो उनके लिए ही है , एक बार गौर से देखें कि एक आचार्य बनने के लिए 9 साल की उम्र से ही कितनी तपस्या करनी होती है, सुबह 4बजे से नीद का त्याग करना , भीषण ठंड में ठंडे जल से 4 बजे स्नान करके वेद पढ़ना, अच्छे अच्छे पकवान से दूर रहना , मां,बाप, भाई , बहन के प्यार से दूर हो जाना , घर परिवार रिश्तेदारी के उत्सव से दूर , और क्या क्या बताएं जिन्हें ऐसा लगता है कि आचार्य फ्री का खाते हैं वो एक बार अपने 9 साल के बच्चे को दो चार दिन के लिए किसी आश्रम में छोड़ कर देखें ।तब आपको पता चलेगा संघर्ष क्या होता है कितनी कड़ी तपस्या और मेहनत करते हैं।