कोर्ट ने चेताया कि लोगों की भलाई के लिए बने आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग नहीं रुका तो इसकी शक्ति व महत्व घट जाएगा
एमपी धमाका
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के "दुरुपयोग" को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यह टिप्पणी एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग (SIC) में लंबित अपीलों और शिकायतों का निपटारा 45 दिनों के भीतर करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
कानून का गलत इस्तेमाल:
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि आरटीआई अधिनियम जैसे कानून लोगों की भलाई के लिए बनाए गए हैं, लेकिन कुछ लोग इसका "दुरुपयोग" कर रहे हैं। लोग "सरकारी दामादों" को ढूंढने या सरकारी कर्मचारियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
बेमतलब के सूचना आवेदन :
कोर्ट ने ऐसे निरर्थक / फिजूल के सूचना आवेदनों पर भी नाराजगी जताई, जिसमें यह पूछा गया था कि सरकारी दफ्तर में एक दिन में कितने समोसे परोसे जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के सवाल आरटीआई के उद्देश्य को कमजोर करते हैं।
आरटीआई की प्रासंगिकता पर असर :
उच्च न्यायालय ने चेतावनी दी कि आरटीआई का इस तरह का दुरुपयोग इसकी प्रासंगिकता को धूमिल कर सकता है, जिससे अधिकारी आवेदनों को हल्के में लेने लगेंगे और अंततः आम लोगों को नुकसान होगा।
नकारात्मक रवैया :
न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की कि जनहित याचिका दायर करने वाले अक्सर "नकारात्मक रवैये" के साथ आते हैं और सरकार के कार्यों में लगातार कमी निकालते रहते हैं।
वे कभी संतुष्ट नहीं होते हैं।
संबंधित आदेश:
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इन मांगों को स्वीकार नहीं किया कि सूचना आयोग में शिकायत/अपील दर्ज कराने के 45 दिनों के भीतर उसका निपटान करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही करीब एक लाख लंबित शिकायतों - अपीलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार को राज्य सूचना आयुक्त के 3 अतिरिक्त पद भरने के निर्देश दिए जाएं। महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग ने वोट को बताया कि उन्हें कई ऐसे आरटीआई आवेदन मिलते हैं, जिनका कोई मतलब नहीं होता है। इससे अनावश्यक रूप से शिकायतों और अपीलों की संख्या बढ़ती है। उनके निपटारे में देरी का कारण सूचना आयुक्त को खाली पद हैं।
हाई कोर्ट ने 1 पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और 5 आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका में की गई मांगों को नामंजूर करते हुए, महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग (SIC) को लंबित अपीलों और शिकायतों का जल्द से जल्द निपटारा करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भले ही आरटीआई अधिनियम में दूसरी अपीलों के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित न हो, फिर भी उनका निपटारा "उचित समय" के भीतर होना चाहिए।
कुल मिला कर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरटीआई अधिनियम के मूल उद्देश्य को बनाए रखने और उसके दुरुपयोग को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि यह लोगों के लिए एक प्रभावी उपकरण बना रहे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग पर कड़ी टिप्पणी कर चुका है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश में स्पष्ट कहा कि सूचना के अधिकार को कई लोगों ने अपनी स्वार्थ सिद्धि/ ब्लैकमेल का धंधा बना लिया है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब आरटीआई एक्ट का इस्तेमाल लोगों को धमकाने,डराने और ब्लैकमेल करने के लिए किया गया है। इसलिए इस महत्वपूर्ण और ताकतवर अधिकार
का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाए जाने की जरूरत है।