वृंदावन से लौटकर दीपक तिवारी
हमारे जीवन में यदि धर्म आध्यात्म नहीं है तो जीवन की गाड़ी पटरी से उतरना तय है। सनातन धर्मशास्त्र कहते हैं कि "बड़े भाग मानुष तन पावा"। इस मानव जीवन के लिए देवता भी तरसते हैं। इसलिए इस दुर्लभ जीवन को पाकर भी हमने धर्म आध्यात्म को अपना साथी नहीं बनाया और उसे जीवन में नहीं उतारा तो मनुष्य जन्म बेकार है।
एमपी धमाका अपने चैनल, समाचार पत्र और समाचार बेवसाइट के माध्यम से अधिक से अधिक धर्म आध्यात्म से संबंधित जानकारी लेकर आता है। एमपी धमाका ने हाल ही में पांच दिन की ब्रज यात्रा की। इस यात्रा के दौरान हमें श्री बांके बिहारी मंदिर से लेकर वृंदावन से 40 किलोमीटर दूर स्थित भगवान श्रीकृष्ण के भाई दाऊजी मन्दिर बलदेव के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। साथ ही अपने पाठकों के लिए रोचक जानकारी इकट्ठी की, जो क्रमशः प्रस्तुत करेंगे। आज हम दुनिया भर में मशहूर वृंदावन के बांके बिहारी भगवान के दर्शन कराने के साथ ही इस मंदिर की रोचक जानकारी बताने की कोशिश कर रहे हैं।
श्रीधाम वृन्दावन, एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नहीं चाहेगा। यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजों के सामूहिक प्रयास से किया गया।
बांके बिहारी मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। यहां देश विदेश तक से लोग बांके बिहारी जी की एक झलक पाने के लिए आते हैं। वैसे तो मथुरा वृंदावन में भगवान कृष्ण के बहुत सारे मंदिर हैं लेकिन, बांके बिहारी मंदिर की प्रसिद्धि अलग ही है। बांके बिहारी मंदिर कई चमत्कारों से भरा हुआ है। यहां जो भगवान कृष्ण की मूर्ति विराजमान है, वह भी बेहद चमत्कारी है। मान्यता है कि इस मूर्ति में एक नहीं बल्कि दो प्राणों का वास है।
भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा जी का भी बांके बिहारी में वास है। इसलिए बांके बिहारी जी के दर्शन करने से श्रद्धालुओं को राधारानी जी के दर्शन करने का भी दिव्य लाभ मिलता है।