Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

घर में बांस नहीं गोघृत जलाएं...!


शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित है, किसी भी हवन अथवा पूजन विधि में बांस को नही जलाते हैं। 

यहां तक कि चिता में भी बांस की लकड़ी का प्रयोग वर्जित है। 

अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग होता है लेकिन उसे भी नही जलाते

शास्त्रों के अनुसार बांस जलाने से पित्र दोष लगता है

क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है?

बांस में लेड व हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में होते है
लेड जलने पर लेड आक्साइड बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है  हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड्स बनाते है

लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है यहां तक कि चिता मे भी नही जला सकते, उस बांस की लकड़ी को हमलोग रोज़ अगरबत्ती में जलाते हैं।

अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए फेथलेट नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है

यह एक फेथलिक एसिड का ईस्टर होता हैयह भी स्वांस के साथ शरीर मे प्रवेश करता है

इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध न्यूरोटॉक्सिक एवम हेप्टोटोक्सिक को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुचाती है

इसकी लेश मात्र उपस्थिति केन्सर अथवा मष्तिष्क आघात का कारण बन सकती है

हेप्टो टॉक्सिक की थोड़ी सी मात्रा लीवर को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है।

शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नही मिलता सब जगह धूप ही लिखा है

परन्तु धुप के बनाने में और उसमे सुगंध लाने के कृत्रिम उपाय किये जाने लगे है 

अतः कृपया घर में मंदिर में देसी गाय के दही से बिलोने से बना घृत प्रयोग करें और जिस से 10 ग्राम घी के जलने पर 1500 किलो वायु ऑक्सीजन या प्राणवायु में रूपांतरित होती है 

यह अकेला प्रयोग घर में कई प्रकार के गंभीर रोग समाप्त करने की क्षमता रखता है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Design by - Blogger Templates |