एमपी धमाका
विदिशा की वर्तमान आबादी के लगभग 60% लोगों की जितनी उम्र है इस समय ,उससे पहले राघव जी भाई विधायक बन चुके थे।
55 साल पहले जब हममें से अधिकांश का जन्म भी नहीं हुआ होगा, तब वे विदिशा का मध्यप्रदेश की विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
7 जुलाई 1934 को जन्मे राघव जी ने सन 50 में मैट्रिक एवं 52 में इंटर मीडिएट किया।
साल 54 में बी, कॉम भोपाल से, 56 एम कॉम और 57 में एलएलबी करते हुए पहले जैन स्कूल में शिक्षक के रूप में सेवाएं दी। फिर एक साल भोपाल में बी एल गुप्ता की के साथ वकालत की। फिर विदिशा में अपनी वकालत प्रारंभ की। राघवजी भाई पत्रकार भी थे I वह वर्ष 1968 से कई साल तक हिन्दुस्तान समाचार एजेंसी के विदिशा में संवाददाता रहे हैं। दैनिक स्वदेश के भी संवाददाता रहे हैं।
आर आर एस से अपने स्कूली समय से ही जुड़े राघव जी ने विदिशा में अपनी वकालत के साथ ही भारतीय जनसंघ के कामों में सक्रिय भाग लेना शुरू कर दिया था, उनके तब के सहयोगी थे श्री कुन्दन लाल सोनी, ब्रजमोहन लाहोटी, नत्थू सिंह जाट, शंकरलाल टेलर, बाबूलाल टोरिया आदि।
भारतीय जनसंघ के गठन में भी राघव जी की महती भूमिका रही है, एक राजनीतिक दल के रूप में जनसंघ को उन्होंने ही विदिशा में स्थापित किया था। श्री रतन चंद भंडारी जनसंघ के पहले अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हुए थे। जनसंघ ने अपने शुरुआती दौर में बड़ा संघर्ष किया।
विदिशा हिन्दू महासभा के गढ़ के रूप में जाना जाता था और था भी।
ऐसे ही संक्रमण काल मे जनसंघ को जनमानस में स्थापित करने में राघव जी भाई ने अनथक परिश्रम किया था।
उन दिनों जब अखबारों में ,उनकी पार्टी की गतिविधियों को स्थान नहीं मिल पाता था एवं अन्य महत्वपूर्ण समाचार नहीं छप पाते थे, तब राघव जी भाई माधवगंज पर एक ब्लैक बोर्ड को ही अखबार की भूमिका में ऱखकर, अपनी बात नित्य सुबह स्वंय उस बोर्ड पर चाक से लिखा करते थे। बरसों यह क्रम अनवरत चलता रहा।
1952 के चुनाव में हिन्दू महासभा ने लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में सफलता पाई थी, इसी कारण कांग्रेस ने राजमाता विजया राजे सिंधिया जी को 1957 में यहां से लोकसभा का चुनाव लड़वाया, विधानसभा चुनाव भी साथ ही होते थे। तो कांग्रेस ने दोनों क्षेत्रों में विजय प्राप्त की।
जनसंघ अपने प्रारम्भिक दौर में था। उन दिनों, 1957 के चुनाव के समय तक विदिशा में जनसंघ का गठन नहीं हुआ था।
62 के चुनाव में जनसंघ से बारेलाल खड़े हुए, तब विदिशा क्षेत्र आरक्षित सीट बन गया था, पहली बार अलग से चुनाव हो रहे थे, इसके पहले विदिशा से दोहरे प्रतिनिधि अर्थात एक, सामान्य और एक आरक्षित। इस तरह 2 विधायक चुने जाते थे। उस चुनाव में हिंदू महासभा के गोरेलाल जी, जीते थे। जनसंघ पहली बार चुनाव के मैदान में सभी क्षेत्रों से लड़ा, पर जीत हासिल न हुई।
1966 में राजमाता सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर सिंधिया जनसम्पर्क समिति बनाई एवं भारतीय जनसंघ से समझौता किया। विदिशा जिले में समझौता हुआ विदिशा तथा बासोदा राजमाता जी को एवं कुरवाई और सिरोंज जनसंघ। इस तरह चुनाव लड़े और चारों जगह से जीत हुई। विदिशा से श्री शंभू सिंह विधायक बने। सांसद भी राजमाता जी के उम्मीदवार श्री शिव शर्मा प्रख्यात वैद्य बम्बई के चुने गए।
इस घटनाक्रम में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि राजमाता विजया राजे जी सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के बाद पहली सार्वजनिक सभा विदिशा में ही आयोजित हुई। जिसका राघव जी भाई ने ही आयोजन किया था।
1969 में श्री शम्भु सिंह के आकस्मिक देहावसान के बाद 1970 में पहली बार राघव जी भाई विधायक बने। इस बात को आज 55 साल हो चुके हैं।
1977 में सांसद फिर 1989 में सांसद का चुनाव जीते। 1991 के चुनाव में वे फिर से उम्मीदवार थे कि श्री अटल बिहारी जी बाजपेयी विदिशा से चुनाव लड़े ऐसा पार्टी ने तय किया, तो उन्हे राज्यसभा में जाने का अवसर पार्टी ने दिया। इस तरह वे फिर से सांसद रहे, राज्यसभा के सांसद के रूप में उन्होंने 2000 तक अपनी सेवाएं प्रदान की।
सांसद के रूप में उन्होंने अपनी अलग परिपक्व नेता की छवि बनाई थी, इसीलिए वे संसद की स्थायी समिति के सभापति चुने गए, जिस समिति में लोकसभा के 30 एवं राज्यसभा के 15 सदस्य रहते हैं।
2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें शमसाबाद से चुनाव लड़ने का मौका मिला ,वे जीते और प्रदेश के वित्तमंत्री बने। शमसाबाद के 2 महत्वपूर्ण सिंचाई बांधों के निर्माण एवं पूर्णता तक ले जाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
अगला चुनाव उन्होंने विदिशा से 2008 में जीता ,फिर से वित्त मंत्री बने। लगातार 10 वर्ष तक उन्होंने बजट पेश किया। वित्तमंत्री रहते हुए विदिशा के मेडिकल कालेज की बुनियादी शुरुआत उन्होंने ही कि थी। सांसद सुषमा स्वराज तत्कालीन मंत्री केन्द्र सरकार की रुचि को उन्होंने ही अमली जामा पहनाया। उन्होंने 2011 के बजट में मेडिकल कालेज हेतु प्रावधान किया था।
पार्टी स्तर पर भी वे बड़े महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। राज्य बीजेपी के महामंत्री 3 बार, उपाध्यक्ष 3 बार,
प्रदेश चुनाव अधिकारी, बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद के अनेको बार सदस्य रहे।
बीजेपी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे।
पार्टी की मुख्य पत्रिका, चरैवेति के प्रकाशन समिति के अध्यक्ष रहे। विदिशा के इंजीनियरिंग कालेज S A T I की समिति महाराजा जीवाजीराव सोसायटी के सचिव 4 साल तक रहे हैं।
2013 के एक घटनाक्रम में उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा, अगला चुनाव भी वे नहीं लड़ पाये।
उनके किये गए कार्यो को आज भी विदिशा एवं शमसाबाद की जनता याद रखती है। लगभग हर गांव को सड़क, हर गांव में श्मशान शेड और मुख्य सड़क के गांव में बस स्टैंड का निर्माण। ये कुछ कार्य हैं जिनकी वजह से आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।
91साल के हो चुके राघव जी जिन्हें लोग सम्मान और अपनत्व के कारण भाई जी के नाम से सम्बोधित करते हैं। आज भी वे स्वस्थ हैं। प्रतिदिन अपने वकालत के कार्यालय में काम करते हैं। लोग उनसे राजनीतिक परामर्श लेते रहते हैं।
गोविन्द देवलिया