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अवतरण दिवस विशेष: विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज


गोस्वामी तुलसीदास जी का आज अवतरण दिवस है।  गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम चरित मानस समेत कुल 23 अलग-अलग रचनाएं लिखीं। जिनमें से पांच लंबी और छह रचनाएं छोटी हैं, जिनमें दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णावली और विनय पत्रिका शामिल हैं।

तुलसीदास जी वैदिक विद्या, दर्शन और पौराणिक कथाओं के अच्छे ज्ञाता थे। ऐसी मान्यता है कि अपनी भक्ति के कारण ही तुलसीदास जी रामायण के पाठ के दौरान भगवान राम के प्रसिद्ध भक्त हनुमानजी से मिल पाए थे। ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी ने तुलसीदास जी को अपनी आंखों से भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को देखने में मदद की थी। एक अन्य कथा के अनुसार, तुलसीदास को कारागार में डाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने सम्राट अकबर के लिए चमत्कार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन वानरों की एक सेना ने कारागार पर हमला कर उन्हें मुक्त करा दिया!

तुलसीदास जी विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे और उन्होंने स्वयं को अपने गुरु का विनम्र अनुयायी बताया। तुलसीदास जी के अनुसार, राम नाम स्वयं भगवान राम से भी बड़ा है क्योंकि 'राम' एक मंत्र है, एक ध्वनि है, जिसका जाप व्यक्ति को चेतना की उच्चतर अवस्था तक पहुंचा सकता है।

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