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विदिशा में इन दिनों: विपक्ष संग्रहालय में रखने लायक और पक्ष गुटबाजी में देखने लायक...!


विदिशा विधानसभा में सांसद, विधायक, नगरपालिका अध्यक्ष, जनपद तथा जिलापंचायत एवं पार्षद और सरपंच सभी में भाजपा के जनप्रतिनिधि जीत कर आए हैं । इनमें से अधिकतर लोग अच्छे इंसान हैं । यदि सभी एक साथ मिलकर पारदर्शिता से कार्य करेंगे तो हमारा प्राचीन शहर विश्वपटल पर स्थापित हो सकता है। 

इस लोकसभा एवं विधानसभा ने देश को प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री इत्यादि दिए हैं तथा प्रदेश को मुख्यमंत्री एवं कई मंत्री दिए हैं । प्राचीनकाल में रामायण के समय से तो हमारा शहर महान था ही अपितु आजादी के बाद भी राजनीति में इसका वर्चस्व कभी कम नहीं हुआ।

पुराने नेताओं ने 50,60,70,80 के दशक में यहां जैन कॉलेज बनवाया था जिसका नाम सारे भारत में था तथा दक्षिण भारत से भी लोग इसमें पढ़ने आते थे । इसी तरह उस समय विदिशा में SATI इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया गया था जिसकी रैंकिंग भारत के सर्वश्रेष्ठ अभियांत्रिकी कॉलेजों में आती थी। उसी समय यहां कई कला मंच एवं रंग मंच थे एवं जयप्रकाश मंच और बालविहार जैसे स्थान थे जहां नाटक, एवं कला- संस्कृति के विषय में कई कार्यक्रम हुआ करते थे। उसी समय यहां लाइब्रेरी बनाई गई थी जिसमें युवा पढ़ा करते थे तथा पुरातत्व संग्रहालय बनाए गए थे जिनमें प्रतिमाएं संरक्षित की गई थी।

अफसोस कि आज के हालात में जैन कॉलेज और SATI की वो साख भी नहीं बची तथा जर्जर हालात हो गए । कला मंच के कई स्थान टूट गए और पुरानी लाइब्रेरी स्वयं पुरातत्व का हिस्सा बनी हुई है । संग्रहालय में बाहर खुले में रखी मूर्तियां बारिश में भीगकर जीर्णोद्धार का इंतजार कर रही हैं । 2015 में हम हम नीति आयोग के अत्यंत पिछड़े जिलों में गिने गए थे।

विदिशा में BHEL आने वाला था वो भी नहीं आया और बीना रिफाइनरी भी हमारे हाथ से ना जाने क्यों चली गई । रेल कारखाने के अंदर कौवों का निवास स्वयं प्रशासन ने कुछ दिन पहले देखा। मेडिकल कॉलेज एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार भी सुषमा जी के समय बना  किंतु उनकी बिल्डिंग अच्छी है पर सुविधाएं थोड़ी समस्या से जूझ रही हैं। 

सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार यह basic needs हैं जब हम इन्हें पूरा कर लेंगे तब हम स्टार्टअप, incubation, library, AI, मशीन लर्निंग ईत्यादि का विचार कर सकेंगे।  स्ट्रीट लाइट ना होना भी हाइवे इत्यादि पर बड़ी समस्या बन रहे हैं । मंदिर संरक्षण तथा गौ रक्षा में भी कई समस्याएं हैं । 

एक समय था जब राजनीति इतनी समावेशी थी कि विदिशा की सभी पार्टी के नेताओं ने मिलकर भिलसा का नाम विदिशा रखने का आंदोलन किया था और नाम बदल दिया गया था । आज विपक्ष तो पुरातत्व संग्रहालय में पहुंचने की कगार पर है और हमारे अपने लोग आपस में गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं ।

हमे नकारात्मकता को छोड़कर, सकारात्मकता का विचार करना चाहिए तथा सभी जनप्रतिनिधि, पक्ष विपक्ष एवं जनता को मिलकर शहर के विकास हेतु कार्य करना चाहिए।  बहुत कुछ है जो किया जा सकता है । जनता इतने भरोसे से सभी स्तर पर जनप्रतिनिधियों को जिताती है और यह अपेक्षा करती है कि हम उनके लिए कुछ बेहतर करेंगे । किंतु यदि आपसी फूट रही तो इससे शहर का ही नहीं पार्टी का भी नुकसान होगा और चुनाव में अगली बार कार्यकर्ताओं को बहुत संघर्ष करना होगा । नेकर पहने गुमनाम व्यक्ति और लाडली बहना हर बार अच्छे काम किए बिना हमे नहीं बचा पाएंगे। 

समय है सही समय पर आपसी कलह को नष्ट करके अपने प्राचीन नगर विदिशा को हम सभी अपने वैभवशाली अतीत के अनुरूप बनाने का प्रयास करें जिससे बाहर के स्थानों पर यह राजनीति के अखाड़े की जगह विकसित विदिशा के नाम से जाना जाए ।

हम सभी युवा इसमें नगरपालिका, विधानसभा, लोकसभा, जनपद, जिलापंचायत स्तर पर वरिष्ठ नेताओं, जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन का सकारात्मक नीति निर्माण एवं शहर को अच्छा करने के प्रयास में जो संभव सहयोग होगा वो करने हेतु तत्पर हैं । बस अब यह आपसी कलह समाप्त होकर सकारात्मक कार्य प्रारंभ होने चाहिए तभी हमारा ये शहर और आगे की पीढ़ी सुरक्षित रह सकेगी वर्ना आज नशा, ड्रग्स इत्यादि फैल रहा है कल मर्डर, रेप इत्यादि भी हमारे यहां बढ़ जाएंगे। हमे सबको मिलकर बेहतर विकसित विदिशा हेतु कार्य करना चाहिए। 
-शुभम् वर्मा

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