थाना जीआरपी रानी कमलापति की गुमशुदा महिला अचर्ना तिवारी को जीआरपी भोपाल ने नेपाल बॉर्डर लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) से किया दस्तयाब
एमपी धमाका
विवरण :- रेलवे इकाई भोपाल में पंजीबद्ध गुम इंसान महिला अचर्ना तिवारी के मामले में राहुल कुमार लोढ़ा, पुलिस अधीक्षक रेलवे भोपाल के कुशल मार्गदर्शन में एवं श्रीमती नीतू डाबर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेलवे भोपाल एवं रामस्नेह चौहान उप पुलिस अधीक्षक रेलवे भोपाल द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन में निरीक्षक जहीर खान, निरीक्षक बबीता कठेरिया, निरीक्षक संजय चौकसे एवं उप निरीक्षक महेन्द्र सिंह सोमवंशी के कुशल नेतृत्व में टीम गठित कर थाना जीआरपी रानी कमलापति के गुम इंसान क्रमांक 05/25 में बड़ी सफलता प्राप्त की गई है।
घटना का विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 07/08/2025 को ट्रेन 18233 नमर्दा एक्स, कोच बी-3 बर्थ नम्बर 03 पर अर्चना तिवारी पिता स्व. शरद नारायण तिवारी उम्र 29 वर्ष निवासी मंगलनगर थाना रंगनाथ नगर जिला कटनी (म.प्र.) पर अपने घर जाने की यात्रा कर रही थी, जो अपने घर नहीं पहुंचने पर उसके भाई अंकुश तिवारी द्वारा दिनांक 08.08.2025 को स्वंय थाना जीआरपी कटनी में आकर अपनी बहन अर्चना तिवारी का गुम होने सूचना दी जिसपर जीआरपी थाना कटनी द्वारा शून्य पर गुम इंसान की कायमी कर घटना स्थल स्टेशन रानी कमलापति का होने से जीआरपी थाना कटनी से डायरी प्राप्त होने पर थाना जीआरपी रानी कमलापति में असल गुम इंसान क्रमांक 5/25 दिनांक 09.08.2025 का कायम कर जॉच में लिया गया। गुम महिला अचर्ना तिवारी हाई कोर्ट में एडवोकेट एवं सिविल जज तैयारी इंदौर में रहकर कर रही थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रेन 18233 के रिर्जवेशन चार्ट एवं संबंधित स्टेशनो से गुजरने वाली ट्रेनों के रिर्जवेशन चार्टो को प्राप्त कर जाँच की गई, तथा उक्त कोच में गुम महिला के आस पास के यात्रियो के घर जाकर पूछ ताछ की गई, तथा साथ ही सरदही थानों से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की व रेलवे स्टेशन इंदौर, भोपाल, सीहोर, रानी कमलापति, नमर्दापुरम, इटारसी, पिपरिया, करेली, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, बिलासपुर तक व शहरों में लगे लगभग 2 हजार सीसीटीव्ही फुटेजो को खंगाले गये ।
नमर्दा नदी में लगभग 32 किलोमिटर तक एसडीआरएफ एवं जीआरपी द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया गया व रानी कमलापति से जबलपुर तक अलग-अलग टीमे बनाकर पैदल सर्चिग कराई गई एवं बरखेड़ा से बुदनी तक वन विभाग के साथ जीआरपी की टीमों के साथ जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, बाद इलेक्ट्रोनिक संसाधानो के माध्यम से संदेही के नम्बर की जानकारी प्राप्त की गई, जिस पर से इंदौर एवं शुजालपुर में संदेही की पहचान सारांश जोकचंद के रूप में की जाकर पुछताछ की गई, पुछताछ में गुम महिला अचर्ना तिवारी से सम्पर्क कर नेपाल बॉर्डर धनगढ़ी जिला लखिमपुर खीरी उ.प्र. से बरामद करने में सफलता हासिल की गई। पुछताछ में अर्चना तिवारी ने बताया की मैरे घर वाले मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे लिए शादी के रिश्ते देख रहे थे कुछ दिन पहले मेरे घरवालो द्वारा बताया गया की तुम्हारे रिश्ते के लिये एक पटवारी लड़का देखा है और इसी प्रकार बार-बार शादी करने के लिए मजबुर कर रहे थे जिस कारण से में मानसिक रूप से परेशान हो गई थी, दिनांक 07.08.2025 को मे इंदौर से कटनी के लिए ट्रेन 18233 इंदौर नमर्दा एक्स० से रवाना हुई मै मानसिक रूप से घर जाने के लिए तैयार नही थी रक्षाबंधन के कारण मे घर जाने के लिए रवाना हो गई परंतु मैने सोच लिया की में अब घर नहीं जाउंगी ओर न ही शादी करूंगी जब तक में सिविल जज नहीं बन जाती फिर मैने सोचते सोचते रेलवे स्टेशन इटारसी पहुंचने से पहले मैने अपने पुराने क्लाइंट तेजेन्दर सिंह जो पंजाब का रहने वाला है वर्तमान में इटारसी में रहता हैं उससे मदद मांगी की मुझे इटारसी उतरकर वापस इंदौर जाना है, फिर मैंने अपने दोस्त सारांश को भी फोन लगा कर इटारसी बुला लिया था, मैंने इटारसी उतरने से पूर्व ही तेजेंदर को बताया दिया था कि जहां इटारसी स्टेशन पर कैमरे न लगे हो वहा उतार लेना, फिर तेजेंदर नमर्दापुरम स्टेशन से से मेरे साथ हो गया, तेजेंदर ने मुझे इटारसी में मेरे दोस्त सारांश के साथ भेज दिया और तेजेंदर इटारसी में रूक गया था फिर में सारांश के साथ उसकी कार मे बैठकर शुजालपुर आ गई थी, शुजालपुर से इंदौर निकल गई थी इंदौर में घरवालो के आ जाने के डर के कारण विचार के उपरांत में हैदराबाद चली गई, हैदराबाद में 2-3 दिन रूकने के उपरांत पेपर एवं मीडिया रिपोर्ट से मुझे यह जानकारी मिली गई थी मेरा केस काफी चर्चित हो जाने कारण सुरक्षित महसुस नही कर रही थी फिर मै सारांश के साथ दिनांक 11.08.2025 को हैदराबाद से दिल्ली पहुंच गई ओर दिल्ली से टेक्सी से सारांश के साथ धनगुढ़ी नेपाल पहुंच गई फिर धनगुढ़ी से काटमांडु पहुंच गई जहां सारांश ने अपने परिचित वायपी देवकोटा से बात कराकर किसी होटल में रूकवाया ओरं सारांश वापस इंदौर चला गया। कुछ दिन बाद देवकोटा ने मुझे एक नेपाल की सिम दिलवा दी थी , जिससे में वाट्सअप के माध्यम से सारांश से बात करती रही। सारांश ओर तेजेंदर ने दोस्त होने के कारण मैरी मदद की थी जिससे में नेपाल तक पहुंच गई थी किसी भी व्यक्ति द्वारा मैरे साथ कोई गलत हरकत की गई ना ही गलत काम किया गया था, सारांश के माध्यम से पुलिस ने मुझसे संपर्क किया ओर बताया कि आपके परिवार वाले बहुत परेशान है वापस आ जाओ बाद मै काटमांडु से प्लेन से धनगुढ़ी आई बाद धनगुढ़ी से नेपाल बॉर्डर लखीमपुरी पहुंची जहां पर मध्यप्रदेश जीआरपी पुलिस भोपाल की टीम मिले जिनके साथ में जीआरपी थाना रानी कमलापति आ गई।