दूसरों के जीवन से अमंगलों और कष्टों का हरण करने वाला ही समाज में प्रथम पूज्य एवं वंदनीय बन जाता है। सभी देवों में अग्रपूज्य भगवान गणपति गणेश जी का स्वरूप बड़ा ही अनुपम और अनेक सीखों से भरा है। भगवान गणेश पर हाथी का मस्तक विराजमान है। हाथी सदैव अपने सामने वाली वस्तु को उसके वास्तविक स्वरूप से दुगुना बड़ा देखता है। अर्थात् गणेश भगवान सबको अति सम्मानपूर्ण दृष्टि से देखते हैं।
भगवान गणेश के बड़े-बड़े कान हमें संदेश देते हैं, कि सदैव श्रेष्ठ सुनो। व्यर्थ के वाद-विवाद में अपने अमूल्य समय को नष्ट मत करो। भगवान गणेश को लम्बोदर भी कहा जाता है। अर्थात् जीवन के भले-बुरे, खट्टे-मीठे और अनुकूल-प्रतिकूल सभी बातों को अपने पेट में रखना अथवा उन्हें पचाना सीखो। विशाल देह होने के बाद भी गणेश जी मूषक की सवारी करते हैं। अर्थात् आप कितने भी वैभवशाली क्यों न हो जाओ पर आपके भीतर अहमता का भार शून्य होना चाहिए।