केके उपाध्याय
संपादक, जनता टीवी
भारतीय राजनीति में संगठन की भूमिका अक्सर नेताओं की लोकप्रियता और चुनावी घोषणाओं के पीछे छिप जाती है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सबसे बड़ी ताकत ही उसका संगठन है। जो वर्षों की साधना। अनुशासन और परिश्रम से खड़ा हुआ है। इस संगठन की मज़बूती के पीछे अनेक अदृश्य चेहरे हैं, जिनका काम सामने नहीं आता , लेकिन उनका असर हर चुनावी परिणाम में दिखता है। इनमें सबसे अहम नाम है भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल का—जो संगठन की बारीकियों और चुनावी रणनीति के माहिर माने जाते हैं। वे एक मौन तपस्वी हैं ।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राजस्थान की धरती पर जन्मे सुनील बंसल का बचपन साधारण वातावरण में बीता। स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही उनमें अनुशासन, मेहनत और देशभक्ति की झलक दिखाई देने लगी थी। पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हुआ। संघ की शाखाओं और कार्यशालाओं ने उन्हें जीवन का उद्देश्य दिया—“राष्ट्र की सेवा संगठन के माध्यम से।”
छात्र राजनीति से शुरुआत
बंसल ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की।
• छात्र राजनीति में रहते हुए उन्होंने हजारों युवाओं को संगठन से जोड़ा।
• वे कई आंदोलन और अभियानों में अग्रणी रहे।
• छात्र परिषद के कार्यक्रमों में उनकी रणनीतिक और प्रबंधन क्षमता की झलक दिखने लगी।
ABVP के दिनों में ही वे समझ गए कि राजनीति में टिके रहने के लिए संगठन की गहराई सबसे बड़ी शक्ति है।
भाजपा संगठन में आगमन
छात्र राजनीति के बाद सुनील बंसल भाजपा संगठन में आए। भाजपा नेतृत्व ने जल्दी ही उनकी क्षमता को पहचाना और उन्हें राज्यों में बड़ी जिम्मेदारियाँ सौंपीं।
• उन्होंने पहले राजस्थान और ओडिशा जैसे चुनौतीपूर्ण राज्यों में संगठन को खड़ा करने का काम किया।
• बाद में उन्हें भाजपा के सबसे बड़े और संवेदनशील राज्य उत्तर प्रदेश में संगठन मंत्री बनाया गया।
यहीं से उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी छाप छोड़नी शुरू की।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की ऐतिहासिक जीतें
उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास बेहद पेचीदा रहा है। जातीय समीकरण, क्षेत्रीय दलों का प्रभाव और बहुस्तरीय राजनीतिक ध्रुवीकरण यहाँ भाजपा के लिए हमेशा चुनौती रहा। लेकिन 2014 और 2017 में भाजपा ने जो ऐतिहासिक विजय पाई, उसके पीछे सुनील बंसल का संगठनात्मक कौशल था।
2014 लोकसभा चुनाव
• भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीत लीं।
• यह जीत सिर्फ़ मोदी लहर की वजह से नहीं थी, बल्कि बूथ स्तर पर भाजपा के संगठन की सक्रियता ने इसमें निर्णायक भूमिका निभाई।
• हर गाँव, हर बस्ती और हर वार्ड में भाजपा कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करना, बूथ जीतो—चुनाव जीतो का मंत्र लागू करना, यह बंसल की रणनीति थी।
2017 विधानसभा चुनाव
• भाजपा ने 403 में से 312 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया।
• इस चुनाव में बंसल ने जातीय समीकरणों को तोड़ने के लिए एक नई रणनीति बनाई—“हर वर्ग तक पहुँचो।”
• अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग, महिलाएँ और युवा—इन सभी वर्गों तक भाजपा का संदेश पहुँचा।
• परिणामस्वरूप, लंबे समय से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र भी भाजपा के साथ आए।
बूथ प्रबंधन का उदाहरण
सुनील बंसल की खासियत यह रही कि वे सिर्फ़ रणनीति बनाने तक सीमित नहीं रहते थे, बल्कि उसे लागू करवाते भी थे।
• उदाहरण के लिए, 2017 चुनाव में भाजपा ने हर बूथ पर 10 सक्रिय कार्यकर्ता खड़े किए।
• कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी गई कि वे अपने क्षेत्र के हर घर तक पहुँचें और मतदाता सूची को बार-बार मिलाएँ।
• इससे मतदाता संपर्क इतना मजबूत हुआ कि विपक्षी दल मुकाबले में ही नहीं टिक पाए।
कार्यशैली और सोच
बंसल की कार्यशैली कुछ खास विशेषताओं से परिभाषित होती है—
1. मीडिया से दूरी – वे प्रचार या सुर्खियों से दूर रहते हैं। उनके लिए असली काम है जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करना।
2. सीधा संवाद – कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ना उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे हर स्तर के कार्यकर्ता को महत्व देते हैं।
3. सूक्ष्म रणनीति – वे चुनावी डेटा का गहन अध्ययन करते हैं और जातीय व सामाजिक समीकरणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करके योजना बनाते हैं।
4. कर्मठता – लगातार यात्रा, बैठकें और समीक्षा—उनका जीवन इसी चक्र में चलता है।
अन्य राज्यों में भूमिका
उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक सफलता के बाद भाजपा ने उन्हें अन्य राज्यों तेलंगाना , उडीसा और पश्चिम बंगाल में संगठन का जिम्मा सौंपा।
• तेलंगाना में भाजपा कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय किया और गुटबाजी कम करने पर जोर दिया।आज भाजपा वहा मजबूती से उभर रही है । आने वाले चुनाव में एक बडी शक्ति बनकर भाजपा खडी होगी । यहां लगातार भीजपा का ग्राफ़ बढा ही है ।
• ओडिशा में, जहाँ भाजपा की जमीन कमजोर थी, उन्होंने कार्यकर्ताओं को गाँव-गाँव तक पहुँचाने का अभियान चलाया। आज उड़ीसा में भाजपा की सरकार है । यह श्री सुनील बंसल की रणनीति और संगठनात्मक क्षमता का ही परिणाम है ।
• अब वे बंगाल में जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं । संगठन को मथ दिया है । वहां भाजपा की उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं ।
राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में जिम्मेदारी
आज सुनील बंसल भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं।
• वे पार्टी के कई महत्त्वपूर्ण राज्यों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
• चुनावी दृष्टि से अहम प्रदेशों की रणनीति तैयार करना, कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना और संगठन को दिशा देना, यही उनकी भूमिका है।
• भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी जानता है कि बंसल जैसे संगठनकारों के बिना चुनावी सफलता अधूरी है।
उल्लेखनीय उदाहरण
1. 2019 लोकसभा चुनाव – जब विपक्ष ने “महागठबंधन” बनाकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की, तब बंसल ने बूथ स्तर पर अभियान को और तेज किया। नतीजा—भाजपा ने फिर से यूपी में भारी बहुमत हासिल किया।
2. 2022 विधानसभा चुनाव – किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी माहौल के बावजूद भाजपा ने उत्तर प्रदेश में जीत दोहराई। इसमें संगठन को एकजुट रखने और कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने का श्रेय बंसल की रणनीति को जाता है।
3. महिला मतदाताओं तक पहुँच – बंसल की रणनीति में महिला मतदाता एक महत्वपूर्ण केंद्र रहे। उन्होंने “कमल साथी बहन” जैसी योजनाओं से महिलाओं को सीधे भाजपा से जोड़ा।
भविष्य की भूमिका
आगामी वर्षों में भाजपा को न केवल सत्ता में बने रहना है बल्कि देशभर में संगठन को और मजबूत करना है। विपक्षी दल नए-नए गठबंधन बनाकर चुनौती देंगे। ऐसे में सुनील बंसल जैसे संगठनकारों की भूमिका और भी अहम हो जाएगी।
• वे नए वर्गों को भाजपा से जोड़ेंगे।
• क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान निकालेंगे।
• और बूथ स्तर पर भाजपा की पकड़ को अटूट बनाए रखेंगे।
आज वे भाजपा के कई राष्ट्रीय अभियानों के संयोजक या सह संयोजक हैं । किसी भी अभियान में उनका होना सफलता की गारंटी है ।
जीत की गारंटी यानी सुनील बंसल -
सुनील बंसल भाजपा के उन नेताओं में हैं जो बिना सुर्खियों में आए भी पार्टी के लिए सबसे बड़ी जीत सुनिश्चित करते हैं।
• उनकी कार्यशैली उन्हें मौन साधक और सफल रणनीतिकार बनाती है।
• उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक जीतें उनके संगठन कौशल का प्रमाण हैं।
• आज वे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में पार्टी को विस्तार देने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में जुटे हैं।
भारतीय राजनीति में अक्सर नेता अपने भाषणों और बयानों से पहचाने जाते हैं, लेकिन सुनील बंसल यह साबित करते हैं कि असली ताकत संगठन की गहराई और कार्यकर्ताओं की मजबूती में है।