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कलेक्टर्स हैं जिला दंडाधिकारी... इसलिए लॉ एंड ऑर्डर उनकी जिम्मेदारी...! कलेक्टर-कमिश्नर के दूसरे दिन बोले मुख्यमंत्री..!



घटना हो या दुर्घटना, तत्काल मौके पर पहुंचे 

जन सुरक्षा, सुशासन और सेवा भाव हो प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता

पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय कर ड्रग कारोबार को करें नेस्तनाबूत

कलेक्टर्स एवं एसपी विकसित करें खुद का सूचना तंत्र

मध्यप्रदेश को अगले 6 महीने में बनाए नक्सल मुक्त प्रदेश

कानून एवं व्यवस्था पर हुआ  कांन्फ्रेंस का आंठवा और अंतिम सत्र

एमपी धमाका, भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कलेक्टर्स जिले के प्रशासनिक मुखिया होने के साथ-साथ जिला दंडाधिकारी भी हैं, इसीलिए जिले में कानून व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करने की पहली जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस के दूसरे दिन उन्होंने कहा कि कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिलों में खुद का प्रभावी सूचना तंत्र विकसित करें, ताकि किसी भी घटना या दुर्घटना की सूचना तत्काल प्राप्त हो और समय पर नियंत्रण किया जा सके। 

उन्होंने कहा कि किसी घटना या दुर्घटना की सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचे। इससे घटना या दुर्घटना और अधिक बड़ा रूप नहीं लेंगी। जिला अधिकारियों के मौके पर पहुंचने से स्थिति नियंत्रण में बहुत मदद मिलती है। 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कलेक्टर एवं एसपी दोनों में उच्च कोटि का तालमेल होना चाहिए। दोनों संयुक्त रूप से कार्ययोजना बनाकर जिले की कानून व्यवस्था की निगरानी रखें। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के दृष्टिगत ऐसी संवेदनशील बस्तियां जहां सड़कें सकरी हैं, तथा फोर्स मूवमेंट में समस्या आती है, सभी कलेक्टर्स ऐसे स्पॉट्स/जगहों को चिन्हित कर वहां का जोनल प्लान स्थानीय नगरीय निकायों के सहयोग से अगले तीन माह में तैयार कर लें, ताकि आवागमन सुगम हो और आवश्यकता पड़ने पर फोर्स मूवमेंट में समस्या न आए। उन्होंने मार्च 2026 तक मध्यप्रदेश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए ठोस रणनीति बनाने के लिए कहा। 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस-2025 के आठवें एवं अंतिम सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सेंसिटिव पुलिसिंग पर जोर देते हुए कहा कि जनता में पुलिस के प्रति विश्वास भाव होना चाहिए। पुलिस अपनी साख बनाए और अपराधों को रोकने में तत्परतापूर्वक कार्यवाही करें। प्रदेश के सभी कलेक्टर्स-एसपी की संयुक्त कॉन्फ्रेंस का विषय “कानून एवं व्यवस्था की सुनिश्चितता” था। मुख्य सचिव अनुराग जैन की मौजूदगी में हुए इस अंतिम सत्र का संचालन अपर मुख्य सचिव गृह विभाग शिवशेखर शुक्ला ने किया। सत्र में पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि मध्यप्रदेश को मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त करने के दृष्टिगत 6 माहों में बालाघाट, मण्डला और डिण्डोरी जिलों के कलेक्टर्स और एसपी लक्ष्य केंद्रित कर यह काम पूरा करें। उन्होंने कहा कि नक्सली घटनाओं को समाप्त करने के लिए हर संभव कार्यवाही करें। नक्सली या तो सरेंडर करें अन्यथा उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि बालाघाट जिले में नक्सली गतिविधियों में बेहद कमी आने के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बालाघाट को अति नक्सलवाद प्रभावित जिले की श्रेणी से डाउनग्रेड कर सामान्य श्रेणी में कर दिया है। उन्होंने इस उपलब्धि पर कलेक्टर-एसपी बालाघाट दोनों को बधाई दी। बताया गया कि कलेक्टर बालाघाट द्वारा नक्सल प्रभावित ग्रामों में विशेष प्रयास करके 200 से अधिक युवाओं को एलएनटी जैसी कंपनी में रोजगार दिलाया है। इससे वह दिशाभ्रमित होने से बच गए और समाज की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इस साल ही हमने आठ मुठभेड़ में दस नक्सली मार गिराए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को बाहर करने के लिए पुलिस एवं अन्य एजेंसियां संयुक्त रूप से कार्य करें, इस काम में और सख्ती लाएं। उन्होंने बताया कि अब तक 19 बांग्लादेशियों को चिन्हित कर वापस भेजा गया है। अवैध घुसपैठियों के खिलाफ ऐसी कार्यवाही आगे भी जारी रखें। मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि स्कूल एवं कॉलेज के आसपास आपराधिक तत्वों पर लगाम कसने के लिए सूचना तंत्र विकसित करें, निगरानी तंत्र को और तेज करें और ऐसे चिन्हित स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएं। स्कूल-कॉलेजों के आसपास असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण के लिए पुलिस के साथ अन्य विभागों को भी जोड़ा जाए। पुलिस एवं प्रशासन खुद के सूचना तंत्र से जानकारी लेकर अपराधों पर अंकुश लगाएं। नगरीय निकाय और पंचायतें पुलिस के सुझाव के अनुसार सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध कराएं। महिला अपराधों के संबंध में काउंसलिंग करें। अन्य सामाजिक संगठनों को भी इस काम से जोड़ें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन जिलों में शासकीय अमले पर हमले होने की अधिक घटनाएं होती हैं, वहां कलेक्टर-एसपी अन्य विभागों के साथ बेहतर तालमेल और समन्वय कर कार्यवाही करें, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से सख्ती से निपटें। घटना की वजह पता कर उसका समुचित समाधान भी करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलों में खाद-बीज के वितरण की व्यवस्था में भी पुलिस एवं जिला प्रशासन सामंजस्य से काम करें। किसानों को किसी तरह की समस्या नहीं आनी चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में ड्रग्स के अवैध कारोबार एवं नशे पर अंकुश लगाने के लिए पड़ौसी राज्यों के साथ समन्वय करते हुए हर स्तर पर नशे को प्रतिबंधित किया जाए। इसी कड़ी में कोरेक्स कफ सिरप के अतिशय उपयोग को भी नियंत्रित किया जाए। उन्होंने कहा कि ड्रग एवं अन्य नशे के पदार्थ के कारोबार पर सख्ती से रोक लगाने के लिए इंडस्ट्रियल बेल्ट में कलेक्टर-एसपी तालमेल करके बारीक निगाहे रखें। इनका लगातार निरीक्षण होता रहे। कोरेक्स को कैसे कंट्रोल किया जाए, इसके लिए उच्च स्तर पर विचार कर समाधान निकालें। शेड्यूल एच ड्रग्स ओवर द काउंटर ना बिकें और सभी दवाइयों का हिसाब भी फार्मासिस्ट अनिवार्य रूप से रखें।

मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि कानून व्यवस्था मजबूत करते हुए अपराधों में संलिप्त आदतन अपराधियों की जमानत निरस्त की जाएं। उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय मॉनिटरिंग सेल के माध्यम से जिले में आदतन अपराधियों की जमानत निरस्तगी की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबर अपराधों के खिलाफ भी कार्रवाई में तेजी लाएं। ऐसे अपराध न होने पाएं, इसके लिए जनजागृति अभियान चलाएं। रोड सेफ्टी प्रोटोकॉल्स का पालन कराकर रोड एक्सीडेंट्स रोकने के लिए भी भरसक प्रयास करें।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कानून व्यवस्था मजबूत रहने से विकास कार्यों को गति मिलती है। अतः सभी कलेक्टर्स एवं एसपी अपने अधीनस्थ अधिकारियों और मैदानी अमले के साथ समन्वय स्थापित कर कानून व्यवस्था बनाए रखें। अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए निरंतर समीक्षा करते रहें। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित चिह्नित अपराध प्रकरणों की नियमित समीक्षा की जाए। उन्होंने सभी कलेक्टर्स से कहा कि मध्यप्रदेश निरंतर विकास की नई ऊचाइयों को छू रहा है। आप सभी राज्य शासन के प्रतिनिधि हैं। आपकी कार्यशैली ही शासन की छवि बनाती है। जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाना हम सभी का साझा लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी दोषमुक्त प्रकरणों की समीक्षा के लिए जिला स्तर पर जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित है, इन समितियों द्वारा कितने प्रकरणों की समीक्षा की गई, कितने अभियोजकों और अनुसंधान अधिकारियों को गलत विवेचना एवं अभियोजन कार्यवाही के लिए दोषी पाया गया, यह देखा जाना भी आवश्यक है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कलेक्टर्स एवं एसपी से कहा कि हमारा प्रदेश निरंतर विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कलेक्टर और एसपी तथा सभी मैदानी अधिकारी राज्य शासन के प्रतिनिधि के रूप में ही जिलों में तैनात हैं। आप जैसा काम करेंगे, शासन की छवि भी वैसी ही निर्मित होगी। आम जनता के जीवन स्तर को बेहतर से बेहतर बनाना हमारा सामूहिक लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि शासन ने जो लक्ष्य तय किए हैं, वह मैदानी अधिकारियों की मेहनत एवं प्रतिबद्धता से हम अवश्य प्राप्त करेंगे। सत्र के अंत में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वास व्यक्त किया कि शासन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रदेश के मैदानी अधिकारी अपनी मेहनत, निष्ठा और प्रतिबद्धता से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि सभी कलेक्टर व एसपी स्पॉट जीआईएस मैपिंग कर विस्तृत कार्ययोजना बनाएं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति की संभावना ही न रहे। डीजीपी श्री कैलाश मकवाणा ने बताया कि पुलिस में तकनीकी सुधार हेतु eHRMS प्रणाली मिशन मोड में लागू की जा रही है। श्री मकवाणा ने बताया कि सिंहस्थ 2028 की तैयारियाँ प्रगति पर हैं। SCFL लैब और “सिंहस्थ साइबर वारियर योजना” के माध्यम से युवाओं को साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। साइबर सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए 1930 कॉल सेंटर, 57 साइबर थाने, 927 हेल्प डेस्क और 27 साइबर फॉरेंसिक काउंसलटेंट कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस दक्षता, पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ जनता की सुरक्षा के हर मोर्चे पर तत्पर है।

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