एमपी धमाका, विदिशा
एक महिला होकर ग्रामीण क्षेत्र में पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदस्थ रहकर ग्रामीण पशुओं का उपचार करना, ग्रामीणों के बीच पहुंचकर पशुओं के संबंध में जानकारी देना सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी कुमारी कृतिका द्विवेदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। सभी कहते थे महिला होकर ग्रामीण क्षेत्र में कैसे यह सब कर पाओगी पशुओं का उपचार करना कोई आम बात नहीं है और वह भी ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ रहकर, वहां तो रात्रि में भी पशुओं का उपचार करना पड़ता है। लेकिन इन सभी चुनौतियों को दरकिनार कर सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी कुमारी कृतिका द्विवेदी ने इस कार्य को करने की ठान ली थी और आज वह काफी लंबे समय से यहां पदस्थ रहकर पशुओं का उपचार ही नहीं कर रही हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों को पशु चिकित्सा के संबंध में आवश्यक परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं। पशुओं की स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में क्या-क्या बिंदुओं का ध्यान रखना है के संबंध में भी वह पशुपालकों से संवाद कर उन्हें बताती हैं।
सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी कुमारी कृतिका द्विवेदी वर्तमान में पशु चिकित्सालय वर्धा पशुपालन विभाग में पदस्थ हैं और अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। वह बताती है कि प्रारंभ में जब वह यहां पदस्थ हुई थीं। तो उन्हें बहुत सी चुनौतियां को सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने इन सभी बातों को दरकिनार कर सिर्फ अपने ध्येय लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और आज पशुओं की देखभाल कर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
क्या चुनौतियां थी सामने -
सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी कुमारी कृतिका द्विवेदी बताती हैं कि जब उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं के उपचार की जिम्मेदारी सौंपी गई तो सभी के मन में यह सवाल था कि महिला होकर मैं इस कार्य को कैसे कर पाउंगी। लेकिन मैंने इन सभी बातों को पीछे छोड़कर सौंप गए कर्तव्यों को बखूबी निभाया। रात्रि में भी पशुओं के उपचार के लिए कार्य किया और आज इस क्षेत्र में यह सभी कार्य मेरे द्वारा निरंतर किए जा रहे हैं। महिला होकर यह सब कैसे संभव हो सकता है इसकी मिसाल सुश्री कृतिका द्विवेदी ने पेश की है।
समाज में बदलाव लाने की दिशा में किया कार्य -
कृतिका व्यास ने बताया कि उन्होंने पशु चिकित्सालय वर्धा गांव में पदस्थ रहकर सौंपे गए कर्तव्यों के साथ-साथ समाज में बदलाव लाने की दिशा में भी कार्य किया है। वह कहती है कि महिला सशक्तिकरण मध्य प्रदेश शासन की एक अभिनव पहल है इसके लिए उनके द्वारा ग्रामीण महिलाओं को जागरूक किया गया है, जैसे कि शासकीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार और उनकी जानकारी महिलाओं तक पहुंचाना, महिलाओं की आर्थिक स्थिति कैसे सुधरे और वह कैसे आर्थिक रूप से कैसे मजबूत बनें इसके लिए उन्होंने महिलाओं को आत्मरक्षा, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान से जीने की राह दिखाई। वह कहती है महिला सशक्तिकरण एक शब्द नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी भी है।