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पारदर्शिता और जवाबदेही के पक्षधर हैं विदिशा कलेक्टर अंशुल गुप्ता




एमपी धमाका, विदिशा 
आरटीआई एक्ट को लागू हुए 20 साल हो चुके हैं। इतने सालों के बाद भी केंद्र सरकार के इस जनहितैषी कानून के प्रति कई अधिकारियों और कर्मचारियों का ढीला रवैया बेहद अखरने वाला है। जबकि केंद्र सरकार का यह कानून आम आदमी को सांसद और विधायक के अधिकार प्रदान करता है। विदिशा कलेक्टर पारदर्शिता और जवाबदेही के पक्षधर हैं, इसलिए उन्होंने 
आरटीआई एक्ट 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कलेक्ट्रेट में ट्रेनिंग आयोजित करने के निर्देश दिए। सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम ई-दक्ष केंद्र विदिशा में सालों बाद आयोजित किया गया। 22 मई से 23 मई  तक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य शासकीय अधिकारी, कर्मचारियों को आरटीआई अधिनियम की विस्तृत जानकारी प्रदान करना था, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया जा सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। ई-दक्ष केंद्र प्रशिक्षक चंद्रजीत रघुवंशी द्वारा आरटीआई आवेदन की प्रक्रिया, अपील व्यवस्था, आरटीआई आवेदन एवं अपील संबंधी शुल्क एवं अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया कि किस प्रकार आरटीआई के माध्यम से सरकारी जानकारी आवेदन करने वाले नागरिक को सुचारु रूप से तय समय-सीमा में जवाबदारी पूर्वक दी जाती है।
लोकसेवा एवं ई-गवर्नेंस प्रबंधक अमित अग्रवाल ने बताया कि कलेक्टर द्वारा आदेशित इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाना और अधिकारी, कर्मचारियों को उनकी जवाबदेही के प्रति जागरूक करना है।
कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया।  जिले के समस्त कार्यालयों के अधिकारी, कर्मचारी जिनमें लोक सूचना अधिकारी, सहायक लोक सूचना अधिकारी एवं शाखा प्रभारी एवं अन्य के लिए 01 मई से 30 मई तक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।

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