ब्रज से लौटकर दीपक तिवारी
ब्रज धाम की पांच दिन की यात्रा के तहत एमपी धमाका भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम दाऊजी के ऐतिहासिक और चमत्कारी मंदिर के दर्शन कराने के साथ इस मंदिर के रहस्य बता रहा है।
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन यात्रा के दौरान यदि भगवान के बड़े भाई दाऊजी के दर्शन नहीं किए तो यात्रा अधूरी मानी जाती है।
5 हजार साल पुराना दाऊजी का यह मंदिर वृंदावन से 30 और मथुरा से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान बलराम की मूर्ति की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने की थी। दाऊजी मंदिर में भगवान बलराम की विशाल मूर्ति माता रेवती के साथ स्थापित है।
मंदिर के गर्भ ग्रह के अंदर आज भी बिजली का उपयोग नहीं होता और दाऊजी के लिए हाथ से पंखा निरंतर झुलाकर गर्मी से निजात दिलाने का प्रयास मंदिर का प्रबंधन द्वारा किया जाता है। माता रेवती और भगवान बलराम के दर्शन एक बड़े दीपक की रोशनी में होते हैं। यह अद्भुत परंपरा मूर्ति स्थापना के उसी समय से चली आ रही है, जब बिजली नहीं होती थी।
जानकार बताते हैं कि मुगल आक्रमणों के दौरान ब्रज के कई देवी-देवताओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया, लेकिन दाऊजी की यह विशाल मूर्ति एक उपाय से यहीं रह गई।
ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब के शासन के दौरान विनाश से बचाने के लिए मूर्ति को बलभद्र कुंड में छिपा दिया गया था, जो मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र तालाब है। बाद में, श्रद्धालु ग्रामीणों ने कुंड में मूर्ति को उल्टा पड़ा हुआ पाया। उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया और दाऊजी को पुनः विधिवत स्थापित किया।
दाऊजी का यह चमत्कारी मंदिर ब्रज क्षेत्र के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बलराम जी का जन्म श्री कृष्ण के जन्म से आठ दिन पहले गोकुल में माता रोहिणी के गर्भ से हुआ था। इस गांव को दाऊजी के सम्मान में बलदेव के नाम से जाना जाता है। भगवान बलराम की यहां लगभग 7 फीट ऊंची मूर्ति है। यह ब्रज मंडल में भगवान बलराम की सबसे बड़ी मूर्ति कही जाती है। ब्रज धाम के मंदिरों के दर्शन और रोचक जानकारी का क्रम एमपी धमाका जारी रखेगा।