एमपी धमाका, विदिशा
कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने कुछ दिन पूर्व ही जिला आयुष विभाग के चिकित्सकों की क्लास लेकर जिला आयुष अधिकारी को विभागीय योजनाओं के समुचित प्रचार प्रसार के निर्देश दिए थे इसके बावजूद राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत 14 जून को विदिशा जिले के 14 आयुर्वेदिक औषधालयों में लगे शिविर जंगल में मोर नाचा किसने देखा की तर्ज पर आयोजित कर खानापूर्ति कर दी गई।
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, योग, पंचकर्म आदि को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष विभाग का कायाकल्प करने की मंशा से राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना लागू की है, जिसमें विदिशा जिले के 14 आयुर्वेदिक औषधालयों का उन्नयन करते हुए उन्हें हेल्थ वैलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया गया है। लेकिन आयुष विभाग की उदासीनता से राष्ट्रीय आयुष मिशन विदिशा जिले में पूरी तरह विफल हो रहा है। इन सेंटरों पर प्रत्येक माह की 14 तारीख को अलग-अलग रोगों पर आधारित चिकित्सा शिविर लगाने के निर्देश केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिए गए हैं। बैनर आदि बनवाने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक औषधालय को एक-एक हजार रुपए का बजट आवंटित किया जाता है। बावजूद इसके आयुष विभाग द्वारा केवल खानापूर्ति कर मरीजों को कोई सुविधाएं उपलब्ध कराने में रुचि नहीं ली जा रही है।
शिविर के बैनर जिला आयुष अधिकारी द्वारा अपने स्तर पर भोपाल से बनवाए जाते हैं, जबकि बजट आयुर्वेदिक औषधालय को अलग-अलग आवंटित किया जाता है। लेकिन जिला आयुष अधिकारी किसी भी औषधालय को बजट न देकर खुद भोपाल से बैनर छपवाकर खानापूर्ति कर देते हैं।
शिविर की थीम - सामान्य मुख रोगों से बचाव
14 जून को लगे चिकित्सा शिविर की थीम इस बार सामान्य मुख्य रोगों से बचाव थी। लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में मरीजों को कोई लाभ नहीं मिला।
जबकि विदिशा के अलावा अन्य जिलों में आयुष विभाग द्वारा प्रचार प्रसार के साथ शिविर आयोजित किए जाते हैं और जनसंपर्क विभाग द्वारा बाकायदा समाचार जारी कर लोगों को अवगत कराया जाता है, लेकिन विदिशा जिले में कलेक्टर के निर्देश के बाद भी जिला आयुष अधिकारी ने कोई रुचि नहीं दिखाई।