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सिकल सेल एनीमिया से रोकथाम के लिए जागरुकता जरूरी : डॉ एमके जैन

                  

विदिशा। आईएपी एवं शिशु विभाग मेडिकल कालेज द्वारा आयोजित सिकल एनीमिया दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में विदिशा आईएपी के अध्यक्ष एवं आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एम के जैन ने सिकल सेल एनीमिया संगोष्ठी एवं रेडियोमन वार्ता कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि सिकल सेल एनीमिया खतरनाक आनुवांशिक खून की कमी वाली बीमारी है, जो कि घातक और जानलेवा हो जाती है। इसलिए इस बीमारी की रोकथाम के लिए शादी योग्य व्यक्तियों को पूर्व में ही परामर्श एवं एचपीसीएल जाँच करवा लेना चाहिए, यही इसका उपचार  है।
यह बीमारी माता पिता के द्वारा बीमारी ग्रसित /बीमारी के वाहक होने पर बच्चों को विरासत में मिलती है। यह आदिवासी क्षेत्रों में ज़्यादा पाई जाती है, लेकिन किसी को भी हो सकती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का विकास अवरुद्ध  हो जाता है। उम्र अनुरूप विकास नहीं होता , पढ़ने लिखने , खेलने कूदने में मन नहीं लगता। बच्चा सुस्त बना रहता है। थोड़ी सी मेहनत से सांस फूलने लगती है। हाथ पैरों के छोटे जोड़ो में तीव्र दर्द होता है। बच्चा सफेद /पीला सा दिखता है , पेट फूला हुआ दिखता है। लिवर और तिल्ली बढ़ जाते हैं हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
आईएपी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं शिशु विभाग मेडिकल की प्रमुख डॉ नीति अग्रवाल ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम और जड़मूल से समाप्त करने के लिए ही भारत सरकार के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक जुलाई 2023 से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से अभियान प्रारंभ किया है और 2047 तक इस बीमारी को नेस्तनाबूद करना है। प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री इस अभियान में सक्रिय रूप से संलग्न भी हैं।
आईएपी के वरिष्ठ सदस्य डॉ नवीन शर्मा ने बताया कि दुनिया भर में बीमारी को नियंत्रण करने लिए हर वर्ष 19 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है, ताकि इस बीमारी के प्रति जन सामान्य जागरूक हो सके और पीड़ित मरीज और समाज को सहायता पहुँचा सके। 
आइएपी सचिव डॉ सुरेंद्र सोनकर ने बताया कि इस वर्ष की थीम वैश्विक स्तर पर सिकल सेल बीमारी के हित में कार्य और निर्णय लेकर स्थानीय और सामुदायिक स्तर पर बीमारी के प्रबंधन में सहायक हो सके 
आईएपी के वरिष्ठ सदस्य डॉ सुमत जैन ने बताया कि बीमारी के  निदान में मेडिकल लक्षणों की जानकारी, मरीज का परीक्षण और ब्लड की जांचें तथा बीमारी विषयक माता पिता की जानकारी सहायक होती है। 
डॉ एम के जैन ने पुनः बताया कि रोकथाम के लिए यदि शादी के पूर्व दोनों पक्षों की जांच नहीं हो पाई है तो प्रथम तीन माह की गर्भावस्था में माँ की खून की एचपीसीएल जाँच करवाना चाहिए और बीमारी वाहक अथवा बीमारी से ग्रसित होने पर उनके पति की भी ख़ून की जाँच करवाते हैं। यदि दोनों को बीमारी अथवा उसके वाहक होते हैं तो बच्चों को बीमारी होने की आशंका रहती है और उसी अनुरूप निर्णय लेना होता है। नहीं तो नवजात अवस्था में बच्चे की खून की एचपीएलसी की जांच से निदान कर बीमारी का संभव उपचार किया जा सकता है। 
वरिष्ठ आइएपी सदस्य डॉ हेमंत यादव ने बताया कि पीड़ित मरीजों को अत्यधिक गर्मी ,सर्दी , अत्यधिक मेहनत के कार्यो और ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र पर जाने से बचना चाहिए। 
वरिष्ठ आईएपी सदस्य डॉ आकाश जैन ने कहा कि पानी अधिक पीना तथा पौष्टिक भोजन और फल तथा हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सेवन हमेशा करना चाहिए 
आईएपी विदिशा के अध्यक्ष डॉ एम के जैन के द्वारा सिकल सेल जन जागरूकता विषयक वार्ता का प्रसारण दोपहर बारह बजे रेडियो पर प्रसारित पूरे जिले में प्रसारित की गई। 
दोपहर में मेडिकल शिशु विभाग सेमिनार हाल में सिकल सेल विषयक क्विज प्रतियोगिता डॉ नीति अग्रवाल , डॉ शरद गेड़ाम तथा डॉ हेमंत यादव के समक्ष आयोजित की गई। जिसमें डॉ वैशाली वैशाली और डॉ मनशाली विजेता और डॉ सुरेंद्र और डॉ शिल्पी प्रथम रनर रहे क्विज का संचालन डॉ राम और डॉ शेफाली द्वारा किया गया।

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