Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

10 रुपए की आरटीआई से अफसर हुए लाचार, आए लाइन पर...!


एमपी धमाका 
जिस भी सरकारी कार्यालय के बाहर लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी की पूरी जानकारी देने वाला सूचना पट्ट न लगा हो, वहां लगवाने के लिए आप भी आजमा सकते हैं यह कारगर तरीका :
मप्र के पूर्व सूचना आयुक्त श्री आत्मदीप के अनुसार 
नागदा (म प्र) के वरिष्ठ पत्रकार और आरटीआई परामर्शदाता कैलाश सनोलिया की यह पोस्ट पूरी पढ़िए:-

-10 रुपए की आरटीआई से अफसर हुए लाचार, आए लाइन पर ~

- ताबड़तोड़  लगाया सूचना पट्ट (बोर्ड) , जब लगी आरटीआई 

- बोर्ड के निरीक्षण के लिए जारी किया पत्र और उपलब्ध कराया बोर्ड लगाने का बिल.

जनता को निराकरण कराने , प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता परखने तथा भ्रष्ट तंत्र की जड़ तलाशने के लिए सूचना के अधिकार बहुत बड़ा हथियार मिला हुआ है l लेकिन जनता को मिले इस हक के प्रति जिम्मेदार अफसर गैरजिम्मेदारना कृत्य करने से बाज नहीं आते हैं l जानकारी देने में टालमटोल या फिर सूचना के अधिकार की बुनियाद को कुचलने के प्रयास करते हैं।

सूचना के अधिकार की बारीकियां से अज्ञात लोगों को रास्ता दिखाने के लिए इस कानून में कई प्रावधान किए गए हैं l जिसमें एक महत्वपूर्ण यह भी प्रावधान है कि जनता की सुविधा के लिए प्रत्येक शासकीय लोक प्राधिकारी कार्यालय के बाहर एक सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य है। इस बोर्ड में यह जानकारी होती है कि सूचना के अधिकार का आवेदन कौन लोक सूचना अधिकारी प्राप्त करेगा, उसके बारे में संपर्क नंबर सहित पूरी जानकारी क्या है l इसी बोर्ड पर जनता की सहायता के लिए यह भी बताना होगा कि जानकारी नहीं मिलने पर या असंतुष्ट होने की स्थिति पर प्रथम अपील कहां होगी l उस अधिकारी का नाम पता और संपर्क नंबर भी इस बोर्ड पर लिखना अनिवार्य है l 

इस बारे में मध्य प्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग ने समय-समय पर बोर्ड लगाने के लिए सक्षम अधिकारियों को  परिपत्र भी जारी किए हैं l लेकिन दुर्भाग्य की आज भी अधिकांश शासकीय कार्यालयों पर ऐसे बोर्ड नहीं लगे हैं l

*   लेखक का यह नवाचार )प्रयोग सफल -
 लेखक ने नागदा जिला उज्जैन अनुभाग में यह मामला एसडीओ (राजस्व )की जनसुनवाई में उठाया था l सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र को  संलग्न कर  यह शिकायत की कि आज भी इस क्षेत्र के कई शासकीय कार्यालय में सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवश्यक सूचनाओं देने वाले बोर्ड नहीं लगे हैं l शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एसडीओ ने नागदा अनुभाग के सारे जिम्मेदार अधिकारियों को एक परिपत्र जारी कर  ऐसे बोर्ड लगाने का दिशा- निर्देश लिखित में जारी किया l 
कुछ कार्यालयों पर तो परिपालन हुआ, लेकिन दुर्भाग्य से तहसील कार्यालय पर ही इसका उल्लंघन हो रहा था l तहसील मुख्यालय सामान्य प्रशासन विभाग विभाग की  महत्वपूर्ण यूनिट है l इस  मुख्यालय में जनता की कई समस्याएं जुड़ी रहती हैl प्रशासनिक कार्य के अलावा किसान अपनी भूमि का नामांतरण, सीमांकन, बटवारा आदि को लेकर आवेदन देते हैं। जब इस कार्य में ढिलाई होती है तो अपने आवेदन पर की गई कार्रवाई के बारे में वस्तुस्थिति जानने के लिए हर व्यक्ति को आरटीआई लगाने का अधिकार होता हैl  

* लेखक ने एसडीओ राजस्व के उस दिशा -निर्देश की प्रति संलग्न कर तहसील कार्यालय में आरटीआई लगाई। l इस आरटीआई की बड़ी विशेषता यह थी कि अधिनियम की एक विशेष धारा 2(j)1 का संदर्भ दिया गया, जिसमें बताया गया कि इस धारा के तहत किसी भी आवेदक को मौके पर निरीक्षण का अधिकार हैl ऐसी स्थिति में एसडीओ ने जो सूचना अधिकार बोर्ड लगाने का दिशा निर्देश दिया था, उसके पालन में जो बोर्ड लगाया गया है, उसका निरीक्षण आवेदक करना चाहता है l साथ ही बोर्ड की प्रमाणित प्रतिलिपि मांगी गई l अधिकारी की लापरवाही पर  शिकंजा करने के लिए यह बिंदु भी शामिल किया कि कार्यालय में बोर्ड जिस तिथि को लगा ,उसका विवरण दिया जाए l उस अधिकारी का नाम भी बताया जाए, जिनके कार्यकाल में बोर्ड लगाने का निर्देश मिला था l 

* मजेदार यह कि इस प्रकार का आवेदन प्राप्त होते ही तहसील कार्यालय ,नागदा में ताबड़तोड़ में बोर्ड लगाया गया । फिर इस लेखक को उसका निरीक्षण करने की  लिखित सूचना जारी की गई l 
विशेष बात यह है कि संबंधित अधिकारी ने अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए सूचना में यह बात अंकित की कि जब एसडीओ से सूचना बोर्ड लगाने का निर्देश मिला था, तब सूचना बोर्ड लगा हुआ था। लेकिन बाद में साफ -सफाई के दौरान कर्मचारियों ने उसे हटा दिया l नया बोर्ड 25 जून 2025 को लगाया गया l
 बोर्ड लगाने पर  खर्च का बिल भी उपलब्ध करवाया l 

* गौरतलब  है कि तहसील कार्यालय में3 वर्ष पहले बोर्ड लगा था ,जो खराब होकर कबड़खाने में चला गया।उसके बाद कोई बोर्ड नहीं लगा l  
लेखक के आरटीआई लगाने पर बराबर परिपालन हो गया l

* ऐसा नहीं तो आयोग में करें शिकायत :

   सूचना अधिकार अधिनियम धारा 7 की उप धारा 8 में लोक सूचना अधिकारी पर यह कानूनी बाध्यता है कि वह जब कोई जानकारी उपलब्ध कराए तो आवेदक को यह बताना आवश्यक होगा कि इस जानकारी से संतुष्टि नहीं होने की स्थिति में अब इसकी प्रथम अपील कहां और कितने दिन में सकते हैं। प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम ,पता आदि का संदर्भ देना आवश्यक है l 

यदि अधिकारी उक्त धारा का उल्लंघन करते हैं तो सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 18 (1) में सूचना आयोग में निशुल्क शिकायत की जा सकती  है l शिकायत में यह वैधानिक आधार लिया जा सकता है कि आवेदक को जानकारी प्राप्त करने की राह में लोक सूचना अधिकारी ने रुकावट पैदा की हैl क्योंकि उसने संबंधित धारा का उल्लंघन कर यह नहीं बताया कि अब प्रथम अपील कहां होगी और उसके लिए निर्धारित मियाद क्या है।

ऐसी स्थिति में अधिनियम की धारा 20 (1) के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी पर अधिकतम 25 हजार का जुर्माना करने की मांग उठाई जा सकती है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Design by - Blogger Templates |