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श्मशान घाटों से भी चिल्लाने लगा विदिशा का विकास...!


एमपी धमाका 
विदिशा जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के श्मशान घाटों की हालत इस कदर खराब है कि बरसात में मृतकों को सम्मानजनक विदाई तक नसीब नहीं हो पा रही है।
यहां मरने के बाद भी इंसान को शांति नहीं मिल पा रही है।
विदिशा जिले के ग्यारसपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सीहोद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिससे विकास के तमाम दावों की कलई खुल गई है। आजादी के इतने सालों बाद भी विदिशा जिले के गांव में सुविधाजनक श्मशान घाट नहीं बन सके हैं। जबकि ग्राम पंचायतों को हर साल लाखों रुपए का बजट शासन से मिलता है और सांसद तथा विधायकों को भी करोड़ों की रुपए की निधि आवंटित होती है, फिर भी श्मशान घाट नहीं बने हैं।
जबकि बरसात के दौरान तकरीबन हर साल इस तरह की खबरें व वीडियो सामने आते हैं, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि कोई कदम नहीं उठाते, जिससे शमशान घाटों की हालात सुधर सके और मृतकों की अंतिम विदाई सम्मानजनक हो सके। पिछले साल ग्राम सौंथर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें लोग घुटनों तक कीचड़ में अर्थी को श्मशान घाट तक ले जाते दिखाई दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
आज ग्यारसपुर ब्लॉक के ग्राम सीहोद का वीडियो सामने आया है।
70 वर्षीय देवा बाई लोधी की मृत्यु हो जाने पर परिजन बारिश के बीच एक एक फीट कीचड़ में दाह संस्कार के लिए शव को लेकर गए। दल-दल वाली सड़क से जैसे तैसे श्मशान घाट तक शव को लेकर पहुंचे तो वहां टीन शेड न होने पर दाह क्रिया की समस्या खड़ी हो गई।

मजबूरी में शोक ग्रस्त ग्रामीणों ने जुगाड़ से टीन सेट बनाकर वृद्धा का अंतिम संस्कार किया।

श्मशान घाटों की व्यवस्था सुधारने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता कैलाश रघुवंशी ने चिठ्ठी लिखकर समस्या उठाई है।
उनका कहना है कि विदिशा जिले के प्रत्येक ग्राम में आदर्श मुक्तिधाम का निर्माण मेरा संकल्प है, क्योंकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी उतनी ही गरिमामयी और व्यवस्थित होनी चाहिए, जितनी जीवन की कोई और व्यवस्था।
लेकिन हाल ही में कई जनपदों में सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से यह देखने में आया कि अनेक मुक्तिधामों की स्थिति दयनीय है — कहीं छाया नहीं, कहीं चबूतरा जर्जर या है ही नहीं।
लोकहित को सर्वोपरि रखते हुए, मैंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को निर्देशित किया है कि वे समस्त ग्राम पंचायतों को आदेशित करें कि वे 15वें वित्त आयोग एवं राज्य वित्त की राशि से मुक्तिधामों की मरम्मत तथा आवश्यकतानुसार अस्थायी ढांचे बनवाएं।

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