विदिशा, एमपी धमाका
स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू से बचाव व नियंत्रण हेतु एडवाईजरी जारी की गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रामहित कुमार ने बताया कि वर्षाकाल के दौरान हमारे घर व आसपास तथा छतों पर विभिन्न प्रकार के खुले पड़े जलपात्रों जैसे पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत, मटके, पाईप, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोतल, कप, गिलास, टूटा फुटा सामान, खिलौने, कनस्टर व अन्य सामान में भरा पानी मच्छरों के पनपने के प्रमुख स्थान ब्रीडिंग सोर्स हैं। इनमें मच्छर अण्डे देते हैं। इनसे 2-3 दिवस में लार्वा निकलता हैं। 3-4 दिन बाद प्यूपा में बदलकर 3 दिन बाद मच्छर बनकर उड़ जाता है इस प्रकार 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र साफ व रूके पानी में पूर्ण करते हैं। अतः इनकी रोक थाम हेतु ऐसे समस्त जलपात्रों में भरा पानी शीघ्र खाली करें व नियमित रूप से सात दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करें।
दिन में काटता है मच्छर
सीएमएचओ डॉ रामहित कुमार ने बताया कि डेंगू का मच्छर सामान्यतः दिन में काटता है व उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है तथा घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है। एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते है। और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाते हैं।
डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारंभिक लक्षण जैसे कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके पश्चात् मरीज को शरीर, आंखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूड़े, या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते हैं। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना, या शॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती हैं। अतः उक्त लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार लेना चाहिये। डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्श के बिना कोई भी दवा ना ले।
डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता हैं। अतः चिकित्सक से परामर्श उपरांत ही उचित उपचार लेवें। बुखार होने पर पेरासीटामोल की दवा (उम्रनुसार उचित मात्रा में) ली जा सकती है। संभावित डेंगू के लक्षण होने पर झोलाछाप व अप्रिशिक्षित, अवैध उपचार करने वालों से उपचार नहीं करावें। इससे स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती हैं।
डेंगू होने पर डरने व घबराने की आवश्यकता नहीं है अनावश्यक दवाओं व भ्रांतियो से बचें व चिकित्सकीय सलाह तथा अस्पताल में उचित उपचार लेवें। जिले में डेंगू एवं चिकिनगुनिया की जॉच जिला चिकित्सालय विदिशा एवं शासकीय अटल बिहारी वाजपेयी मेडीकल कालेज में पूर्णतः निःशुल्क की जाती है। संभावित रोगी तत्काल अपनी जॉच करावें। ताकि समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर आवश्यक उपचार किया जा सके व प्रभावित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यवाही की जा सके। जॉच में डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलो का रस, नालियल पानी, दाल का पानी, ओ.आर.एस. का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शीघ्र लाभ मिलता हैं।
बीमारी से बचाव के उपाय
डेंगू के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नहीं होने दें। व खुली टंकियों को ढक कर रखें। अनावश्यक कबाड़ का सामान नष्ट करें। या उनमें पानी इकठा न होने दें। सप्ताह में एक बार आवश्यक रूप से टंकी, मटके, कूलर व अन्य उपयोगी जलपात्रों में भरा पानी बदलें। व जिन अनुपयोगी जलपात्रों का नहीं बदल सकते उनमें मिट्टी का तेल, खाने का तेल, गाड़ियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते हैं।
मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरें बाह के कपड़े पहनना चाहिए। दिन में मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छररोधी क्रीम , अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिये। तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये। डेंगू से बचाव की जानकारी आपस में अपने परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों व सोसाइटी को भी बतावें जिससे सभी जन स्वयं अपने घर व आसपास डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को रोकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की सही जानकारी व जन सहयोग के द्वारा डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता हैं।