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क्या आप जानते हैं अटकन, बटकन, दही चटाकन का अर्थ...!


अटकन बटकन दही चटाकन,
लौहा लाटा बन के काटा।
तुहुर-तुहुर पानी गिरय,
सावन में करेला फुटय।
चल-चल बेटा गंगा जाबो,
गंगा ले गोदावरी जाबो।
आठ नगर पागा गुलाब सिंह राजा,
पाका-पाका बेल खाबो।
बेल के डारा टूटगे, भरे कटोरा फुटगे॥

✍️इस बाल-गीत में अन्तर्निहित संदेश👉

1. अटकन — जब शरीर जीर्ण हो जाता है और जीव उचित रूप से अन्न निगल नहीं पाता, तो वह अटकने लगता है।

2. बटकन — मृत्यु-समय निकट आने पर नेत्र-पुतलियाँ उलटने लगती हैं।

3. दही चटाकन — जब जीव देह-त्याग हेतु आतुर होता है, तब जन कहते हैं— "गंगाजल पिलाओ।"

4. लौहा लाटा बन के काटा — मृत्यु उपरान्त श्मशान ले जाकर लकड़ियों से दाह संस्कार करना, शीघ्रता से लकड़ी लाना।

5. तुहुर-तुहुर पानी गिरय — ज्वलन्त चिता के समीप खड़े जनों की आँखों से अश्रुधारा बहना।

6. सावन में करेला फुटय — अश्रुपूरित होकर कपाल क्रिया कर मस्तक को भेदन करना।

7. चल-चल बेटा गंगा जाबो — अस्थि-संचय कर विसर्जन हेतु गंगा ले जाना।

8. गंगा ले गोदावरी जाबो — अस्थि-विसर्जन कर तीर्थ-यात्रा सम्पन्न कर घर लौटना।

9. आठ नगर पागा गुलाब सिंह राजा — ग्रामान्तर से आये लोग पगड़ी बाँधते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि अब आप ही गृह के मुखिया हैं।

10. पाका-पाका बेल खाबो — तेरहवीं अथवा दशगात्र के अवसर पर भोजन करना और कराना, तथा मृतक की संपत्ति उत्तराधिकार में पाना।

11. बेल के डारा टूटगे — परिवार का एक सदस्य घट जाना।

12. भरे कटोरा फुटगे — उस जीव का संसार से बन्धन टूटना, और भरा-पूरा परिवार बिखर जाना।

यह प्रतीकात्मक बाल-गीत वर्षों तक गूढ़ संदेश देता रहा, किन्तु इसके गहन अर्थ को समझने में लम्बा समय लग गया।

✍️ संकल्प रामराज्य चैनल द्वारा प्रस्तुत

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