एक दिन के लिए भी कहीं जाना हो तो उसका पहले प्रबन्ध करते हैं, लेकिन (मृत्यु का) समय होते ही यहां से चले जाना होगा— वहां का भी प्रबंध किया है क्या? आगे कहां जायेंगे, कैसे क्या करेंगे? यदि तैयारी नहीं की है तो आगे क्या दशा होगी? दूसरे सांसारिक काम करेंगे या नहीं करेंगे, इसमें तो सन्देह है, लेकिन मरेंगे या नहीं मरेंगे, इसमें सन्देह है क्या? मरना अवश्यंभावी है, आपसे प्रेमपूर्वक प्रार्थना है कि उस दिन की तैयारी कर लें।
श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज
हे नाथ, हे मेरे नाथ, हे मेरे स्वामी, मैं आपको भूलूं नहीं