एमपी धमाका, विदिशा
लोक सूचना अधिकारियों द्वारा समय सीमा में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का पालन न कर धारा 7 का उल्लंघन करने के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं जबकि सरकारी कामों में पारदर्शिता लाने और अधिकारियों, कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए इस कानून को पवित्र उद्देश्य के साथ 20 साल पहले लागू किया गया था। लोक सूचना अधिकारियों की उदासीनता प्रथम अपीलीय अधिकारियों के कारण भी बढ़ रही है, जो विधि अनुसार फैसले पारित करने में ढिलाई बरत रहे हैं।
कलेक्टर कार्यालय विदिशा के लोक सूचना अधिकारी द्वारा धारा 7 के उल्लंघन के मामले में मंगलवार को 3:30 बजे से प्रथम अपीलीय अधिकारी अपर कलेक्टर के समक्ष सुनवाई का समय तय किया गया था, लेकिन मामले की सुनवाई सवा घंटे देरी से 4:45 बजे की गई। जबकि अपर कलेक्टर अपने कक्ष में मौजूद थे, उनसे मिलने के लिए कलेक्ट्रेट के लोक सूचना अधिकारी डिप्टी कलेक्टर संतोष बिटोलिया और सहायक लोक सूचना अधिकारी कलेक्ट्रेट अधीक्षक कक्ष में मिलने पहुंचे, लेकिन उसके बाद अपील सुनवाई से दोनों नदारद रहे। जबकि अपर कलेक्टर ने लोक सूचना अधिकारी को सुनवाई में उपस्थित होने तलब किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी इस कानून को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं? अपीलार्थी ने लोक सूचना अधिकारी के सुनवाई में उपस्थित न होने पर अपील अधिकारी के समक्ष अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई। सवा घंटा देरी से अपील सुनवाई करने का मामला भी अपर कलेक्टर के समक्ष उठा। कलेक्टर कार्यालय में दो स्पीड पोस्ट गुमने और जानकारी न देने के मामले में अपील की गई है।