एमपी धमाका
पितृ पक्ष कल से शुरू हो रहा है जो 21 सितंबर तक चलेगा। यह 15 दिवसीय अनुष्ठान पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने का अवसर है। इस दौरान तर्पण दान और श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।मालवा के ज्योतिष गुरु डॉ अशोक शास्त्री ने बताया कि पिता सहित पितरों को खुश रखने व पितृ दोष से मुक्ति पाने वाला 15 दिवसीय पितृ पक्ष 7 सितंबर रविवार से शुरू हो रहा है। जातक सर्व प्रथम अगस्त्य ऋषि का तर्पण करते हैं। पितृ पक्ष पितरों को खुश व संतुष्ट करने का पक्ष है।
पितृ पक्ष में माता पिता व पितरों को तर्पण करने से जीवन में चल रहे पितृ दोष या कुंडली में स्थित पितृ दोष के कारण उत्पन्न या संभावित पारिवारिक, शारीरिक, मानसिक, आर्थिक परेशानियों का दोष निवारण होता है, इसलिए पितृदोष दोष निवारण, उत्तम नौकरी आजीविका, रोजी रोजगार, सुख सौभाग्य, संतति संतान आदि तमाम विषमताओं से मुक्ति के लिए प्रत्येक जातक को पितृ तर्पण, पितृ दान, पितृ भोजन अवश्य कराना चाहिए। इससे पितर खुश व आनंदित होते हैं तथा उनके शुभ आशीर्वाद से सर्व सफलता प्राप्त होती है।
डॉ अशोक शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा को दोपहर बाद ऋषि तर्पण किया जाएगा। इस बार सात सितंबर को अगस्त ऋषि तर्पण के साथ पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है जो आगामी 21 सितंबर रविवार तक चलेगी। पहले दिन अगस्त ऋषि को तर्पण किया जाएगा।
दूसरे दिन यानी आठ सितंबर से पितृ तिथियों पर तर्पण, दान आदि करते हुए सभी जातक अपने अपने पिता कि पुण्य तिथि को उनकी तिथि मनाएंगे, लेकिन वैसे जातक जिनको पिता के मृत्यु की तिथि याद नहीं है या उनकी मृत्यु को लेकर किसी प्रकार का संशय है तो 21 सितंबर रविवार को अमावस्या श्राद्ध में भूले-बिसरे व अज्ञात तिथि वाले सभी पितरों का तर्पण व दान करेंगे।
08 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
09 सितंबर - द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर - तृतीया श्राद्ध
11 सितंबर - चतुर्थी श्राद्ध
12 सितंबर - पंचमी श्राद्ध
13 सितंबर - षष्ठी व सप्तमी श्राद्ध
14 सितंबर - अष्टमी का तर्पण
15 सितंबर - मातृ नवमी श्राद्ध होगा
16 सितंबर - दशमी
17 सितंबर - एकादशी
18 सितंबर - द्वादशी
19 सितंबर - त्रयोदशी
20 सितंबर- चतुर्दशी
21 सितंबर - पितृ विसर्जन व अमावस्या श्राद्ध
पितृ पक्ष के अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत
पितृ पक्ष के दौरान ही सभी पितरों की प्रसन्नता के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत भी किया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में मातृ पक्ष के पितरों को पानी दिया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को किया जाता है।
13 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत का नहाय खाय व 14 को जीमूतवाहन पूजन (जितिया) व्रत किया जाएगा। 15 सितंबर नवमी तिथि को प्रातः 5:27 बजे से 6:27 बजे के बीच ओरी (चौखट) टिक कर व्रत का पारण कर लेना व्रतियों के लिए श्रेयसकर होगा।