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अपने व्यक्तिगत मामलों की पैरवी करने का हर व्यक्ति को है अधिकार....


कोर्ट में अपना केस खुद लड़ने यानी व्यक्तिगत रूप से वकालत (Advocacy in Personal)" से जुड़ी वैधानिक स्थिति जानिए <<

क्या कोई व्यक्ति कोर्ट में स्वयं अपने मामले की पैरवी कर सकता है या वकालत करने का अधिकार केवल वकील (Advocate) को है ? 

आइए, इस बारे में वैधानिक स्थिति जानते हैं: बता रहे हैं पूर्व सूचना आयुक्त श्री आत्मदीप.....

1. भारतीय संविधान में प्रावधान -

 अनुच्छेद 19(1)(g) : हर नागरिक को कोई भी विधि सम्मत व्यवसाय, पेशा या व्यापार करने का अधिकार है।
→ परंतु "वकालत" यानी किसी और का केस लड़ने का काम केवल Advocates Act, 1961 के अंतर्गत पंजीकृत अधिवक्ता (Advocate) ही कर सकता है।

 अनुच्छेद 21 और 39A : हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है। इसके लिए जरूरतमंदों को निःशुल्क विधिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है।

2. एडवोकेट्स एक्ट, 1961

 इस अधिनियम की धारा 29, 30 और 33 कहती हैं : 

 केवल रजिस्टर्ड अधिवक्ता (Bar Council में नामांकित) ही अदालत में "प्रैक्टिस" कर सकता है।

 कोई भी गैर-अधिवक्ता नियमित रूप से दूसरों की पैरवी नहीं कर सकता।

3. व्यक्तिगत तौर पर स्वयं वकालत (Party-in-Person) -

Code of Civil Procedure, 1908 की धारा 32 और Order 3 Rule 1 & 2 :

 कोई पक्षकार स्वयं अपना केस लड़ सकता है, या फिर किसी "प्लीडर/अधिवक्ता" अथवा "अधिकृत प्रतिनिधि" को नियुक्त कर सकता है।

 Code of Criminal Procedure, 1973 की धारा 302 :

 मैजिस्ट्रेट की अनुमति से कोई पक्षकार (विशेषकर शिकायतकर्ता) स्वयं या अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से अभियोजन चला सकता है।

 Supreme Court Rules, 2013 और High Court Rules :

 सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में भी "Party-in-Person" की अनुमति है, परंतु उसके लिए कोर्ट की पूर्व अनुमति/Leave लेना पड़ता है।

4. प्रमुख न्यायालयीन निर्णय -

 Hari Shankar Rastogi vs. Giridhar Sharma (AIR 1978 SC 1019)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत में कोई व्यक्ति स्वयं उपस्थित होकर अपना केस लड़ सकता है।

 T.C. Mathai vs. District & Sessions Judge, Thiruvananthapuram (1999)
अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति किसी और की ओर से वकालत नहीं कर सकता जब तक कि वह अधिवक्ता न हो।

5. व्यावहारिक स्थिति -

 स्वयं अपने केस की वकालत : वैधानिक रूप से मान्य और किसी भी स्तर की अदालत में संभव है।

क्षदूसरों की ओर से नियमित पैरवी : केवल पंजीकृत अधिवक्ता (Advocate) कर सकता है।

 विशेष अनुमति : अदालत चाहे तो किसी गैर-वकील को भी "विशेष परिस्थिति" में प्रतिनिधित्व की अनुमति दे सकती है।

निष्कर्ष :
भारत में हर व्यक्ति अपने व्यक्तिगत मामले की पैरवी (advocacy in personal / party-in-person) कर सकता है। लेकिन किसी अन्य व्यक्ति का केस लड़ना केवल अधिवक्ता को ही वैधानिक रूप से अनुमत है।

आप चाहें तो हम आपको सिविल और क्रिमिनल मामलों में “स्वयं पैरवी” की प्रक्रिया (कदम-दर-कदम) भी बता सकते हैं।

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