अब शायद ही जबलपुर को ऐसा कलेक्टर और कैरेक्टर मिले।
जबलपुर को लगभग 20 माह तक जिले के प्रशासनिक मुखिया यानी कलेक्टर के तौर पर एक ऐसा कैरेक्टर मिला जिसने लोगों की समस्याओं को समझा, जड़ तक पहुंचे और जड़ से उन्हें खत्म करने का पूरा प्रयास किया। कलेक्टर के रूप में आईएएस दीपक सक्सेना ने सबसे बड़ा काम निजी स्कूलों के शोषण से बालकों और पालकों को मुक्ति दिलाने का किया । पूरे देश भर में ऐसी सख्त कार्रवाई केवल जबलपुर में हुई, कई बड़े रसूखदार निजी स्कूल संचालक जेल भेजे गए, कोर्ट ने भी कलेक्टर दीपक सक्सेना की कार्रवाई को सही माना। इसके बाद उन्होंने बच्चों को रियायती दर पर पुस्तक उपलब्ध कराने पुस्तक मेला का नवाचार शुरू किया जिसे पूरे प्रदेश में अपनाया गया।
यूं तो लगभग 20 माह के कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे काम किया जो नजीर बन गए। जनता से लेकर मुख्यमंत्री तक ने उनके नवाचारों की सराहना की। कलेक्टर और भी आएंगे पर कलेक्टर के साथ ही एक ऐसा संवेदनशील इंसान शायद ही जबलपुर को मिले। गरीबों की बातों को ध्यान से सुनना और उनकी मदद करना उनकी सबसे बड़ी खूबी है । नए प्रशासनिक अधिकारियों को भी उन्होंने अपने कामों से कई रास्ते दिखाए, चाहे रिकॉर्ड संधारण करने का उनका अभिनव नवाचार हो या अन्य काम, उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। नरसिंहपुर में गन्ना किसानों को शोषण से बचाकर उन्हें मिल मालिकों से उचित मूल्य दिलाने का उनका फैसला और कार्यवाही भी एक नजीर बनी। पूरी शुगर मिल लॉबी मिलकर हाईकोर्ट गई लेकिन हाई कोर्ट ने कलेक्टर दीपक सक्सेना के फैसले को सही ठहराया क्योंकि वे काम ही बहुत पुख्ता करते हैं। भारत में कोविड की पहली लहर आने पर देश में सबसे पहले लॉकडाउन नरसिंहपुर जिले में किया गया था। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों को बहुत सारे लिफाफे जमा करने पड़ते थे वह आधे हो गए, यह काम भी श्री दीपक सक्सेना ने ही किया था। उनके निर्णय बहुत व्यावहारिक और दूरदर्शिता पूर्ण रहते हैं। फिलहाल अब उन्होंने मध्य प्रदेश जनसंपर्क आयुक्त के रूप में बड़ी जिम्मेदारी संभाल ली है। सबसे अच्छी बात पत्रकारों के लिए यह है कि हम पत्रकारों के प्रति उनका व्यवहार बहुत ही संवेदनशील और मददगार रहता है। प्रदेश के पत्रकारों को उनके इस स्वभाव और कार्यशैली का भरपूर लाभ मिलेगा और इससे भी बढ़कर उनका अपनापन भी मिलेगा।
दीपक सक्सेना जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं...
अजय खरे