‘तुलसी’ विलंब न कीजै, भजि लीजै रघुबीर।
तन तरकस तें जात है, स्वांस सार सो तीर॥
तुलसीदासजी कहते हैं कि अब देर मत करो, अब भगवान् राम का भजन कर लो, क्योंकि शरीर रूपी तरकस से प्राण रूपी तीर निकलते ही जा रहे हैं और जो श्वास एक बार निकल जाता है वह फिर नहीं आता।