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जन्मदिवस पर विशेष- नरेंद्र दामोदर दास मोदी: व्यक्तित्व और कृतित्व का अद्वितीय संगम...


केके उपाध्याय 
Krishan Kant Upadhyay

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी गहराई तक महसूस किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ऐसे ही एक युगनायक हैं, जिनका जीवन साधारण से असाधारण की यात्रा का अद्भुत उदाहरण है। उनका जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के वडनगर नगर में हुआ। एक सामान्य परिवार से निकलकर विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था के शीर्ष नेतृत्व तक पहुँचना उनकी अटूट निष्ठा, कर्मठता और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रमाण है।

बाल्यकाल और संघर्ष की नींव

नरेंद्र मोदी का बचपन कठिनाइयों और संघर्षों में बीता। पिता की छोटी सी चाय की दुकान पर हाथ बँटाने वाले मोदी जी ने जीवन की वास्तविकताओं को बहुत करीब से देखा। यही अनुभव आगे चलकर उन्हें संवेदनशील, व्यावहारिक और कर्मठ व्यक्तित्व के रूप में गढ़ते गए। वडनगर में पढ़ाई करते हुए उनकी रुचि वाद-विवाद, थियेटर और संगठनात्मक कार्यों में भी रही। किशोरावस्था से ही राष्ट्रसेवा और समाजकार्य उनके जीवन का प्रमुख ध्येय बन गया।

संगठन जीवन और राजनीति में प्रवेश

युवा अवस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मोदी ने अनुशासन, संगठन और राष्ट्रहित के संस्कार आत्मसात किए। संघ में प्रचारक के रूप में देश के विभिन्न हिस्सों में रहकर उन्होंने समाज और संस्कृति की विविधता को जाना। इसी संगठनात्मक पृष्ठभूमि ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी में नेतृत्व की भूमिका निभाने योग्य बनाया। गुजरात संगठन में उनका योगदान और बाद में 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी ने उन्हें राष्ट्रीय परिदृश्य पर अग्रणी नेता के रूप में स्थापित कर दिया।

गुजरात मॉडल और राष्ट्रीय पहचान

मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने ‘गुजरात मॉडल ऑफ डेवलपमेंट’ को मूर्त रूप दिया। बिजली, पानी, सड़क, उद्योग और कृषि—सभी क्षेत्रों में गुजरात ने उल्लेखनीय प्रगति की। आपदा प्रबंधन से लेकर निवेश आकर्षित करने तक उनकी प्रशासनिक दक्षता और निर्णायक नेतृत्व चर्चा का विषय बना। यही ‘गुजरात अनुभव’ उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार बना गया।

प्रधानमंत्री के रूप में परिवर्तनकारी नेतृत्व

2014 में प्रधानमंत्री पद संभालते ही नरेंद्र मोदी ने भारतीय राजनीति की कार्यसंस्कृति बदल दी।
 • जनधन योजना से लेकर उज्ज्वला योजना तक, गरीबों और वंचितों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए व्यापक अभियान चले।
 • स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता को राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया।
 • मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी पहलों ने नई पीढ़ी को आत्मनिर्भरता और नवाचार का मार्ग दिखाया।
 • आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को स्वास्थ्य सुरक्षा दी।
 • प्रधानमंत्री आवास योजना ने ‘सभी के लिए घर’ का सपना साकार किया।

उनकी नीतियों का मूल मंत्र रहा है—“सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।”

वैश्विक मंच पर भारत की पहचान

नरेंद्र मोदी की विदेश नीति ने भारत को वैश्विक नेतृत्व की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। संयुक्त राष्ट्र में ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ की मान्यता से लेकर जी-20 की अध्यक्षता तक भारत की छवि एक जिम्मेदार, शक्तिशाली और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध राष्ट्र के रूप में स्थापित हुई। पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने, वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने और विश्व राजनीति में संतुलित नेतृत्व देने में मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

व्यक्तित्व की विशेषताएँ

मोदी जी का व्यक्तित्व बहुआयामी है।
 • वे गहन अध्येता और विचारक हैं, जो निरंतर पढ़ने-सीखने की प्रवृत्ति रखते हैं।
 • अद्भुत वक्तृत्व क्षमता और जनसंपर्क कौशल उन्हें जनता से सीधे जोड़ता है।
 • अनुशासन, परिश्रम और समय की पाबंदी उनके कार्यशैली के आधार स्तंभ हैं।
 • आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी आस्था उनके निर्णयों में परिलक्षित होती है।

आलोचना और चुनौतियाँ

नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उन्हें अनेक आलोचनाओं और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा—चाहे वह आर्थिक सुधारों की गति पर उठते सवाल हों, या विपक्ष द्वारा नागरिकता संशोधन कानून और कृषि कानूनों पर किया गया आंदोलन। किंतु यह निर्विवाद है कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ता और संवाद के साथ नेतृत्व किया।

सेवा, समर्पण और स्वप्न

मोदी जी का जीवन दर्शन सेवा और समर्पण पर आधारित है। उनका कहना है कि वे “प्रधान सेवक” हैं, शासक नहीं। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का उनका संकल्प, आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना और अमृतकाल में 2047 तक विश्वगुरु भारत का सपना ही उनकी राजनीति का वास्तविक ध्येय है।
नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व साधारण जनजीवन से जुड़ा हुआ और कृतित्व असाधारण उपलब्धियों से भरा है। उन्होंने यह साबित किया है कि यदि निष्ठा, परिश्रम और संकल्प हो तो कोई भी व्यक्ति परिस्थितियों को बदल सकता है। उनका जीवन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उनका जन्म दिवस केवल एक नेता का जन्म दिवस नहीं, बल्कि उन मूल्यों का उत्सव है जो भारतीय संस्कृति और लोकतंत्र की आत्मा में गहराई से रचे-बसे हैं—त्याग, सेवा, समर्पण और राष्ट्र सर्वोपरि की भावना।

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