कनक भूधराकार सरीरा।
समर भयंकर अतिबल बीरा।।
अर्थात सोने के पर्वत जैसा शरीर।
सुंदरकांड की यह चौपाई हनुमान जी के शरीर का वर्णन करती है, जब वे सीता माता को आश्वस्त करने और उनका डर दूर करने के लिए अपना विशाल रूप प्रकट करते हैं। लेकिन आजकल लोग दूसरों को डराने के लिए बड़ा बनते हैं। हनुमानजी बता रहे हैं कि हम दूसरों का डर दूर करने के लिए बड़ा बनें, न कि डराने धमकाने के लिए।