दीपक तिवारी, विदिशा
सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद, बीते 20 सालों में देश में कई सूचना आयुक्त बने, इनमें से कई ने ठीक-ठाक काम किया और कुछ ही ऐसे रहे जिन्होंने बेहतरीन ढंग से अपना कर्तव्य निभा कर जनता को काफी राहत दिलाई। यह गौरव मध्य प्रदेश को हासिल हुआ है कि उसके एक सूचना आयुक्त ने न केवल पद पर रहते हुए, बल्कि पद पर न रहने के बाद भी सूचना के अधिकार का लाभ अधिकाधिक लोगों को दिलाने के लिए अपनी निशुल्क सेवा देना सतत जारी रखा है।
देश के बेहतरीन सूचना आयुक्तों में शुमार श्री आत्मदीप ने अन्य सूचना आयुक्तों के लिए अनुकरणीय मिसाल पेश की है। उन्होंने मप्र के राज्य सूचना आयुक्त के रूप में 2014 से 2019 तक जनता व शासन के हित में, देश में पहली बार न केवल अनेक नवाचार किए, बल्कि आरटीआई एक्ट के तहत की जाने वाली अपीलों व शिकायतों के आसान व त्वरित निराकरण का नया ट्रेंड भी सेट किया। सरकारी अधिकारियों और नागरिकों का समय व खर्च बचाने के लिए उन्होंने सूचना आयोग को उसकी चारदीवारी से बाहर निकाल कर जिलों में ले जाने का जतन किया।
जिलों में जाकर कैंप कोर्ट लगाए और जिलों की अपीलों की सुनवाई जिलों में ही करके वही फैसले सुनाने शुरू किए। जिलों में जाकर लोक सूचना अधिकारियों, अपीलीय अधिकारियों व आरटीआई के क्रियान्वयन से जुड़े अन्य लोक सेवकों की कार्यशाला आयोजित कर उनकी व्यावहारिक दिक्कतें सुनीं और उनका निराकरण करते हुए अधिकारियों कर्मचारियों को जनता को अधिकारिक जानकारी देने के लिए प्रेरित किया।
शिकायतों व अपीलों की सुनवाई के लिए नागरिकों व अधिकारियों कर्मचारियों को अपना कामकाज छोड़कर अपने गांव या नगर से भोपाल आने जाने की परेशानी ना उठानी पड़े और उनका रोजमर्रा का कामकाज प्रभावित ना हो, इसके लिए आत्मदीप ने मप्र सूचना आयोग में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी सुनवाई का श्रीगणेश किया। साथ ही देश में पहली बार फोन पर ही सुनवाई कर अपील व शिकायतों का निपटारा करने की नई पहल की। सबसे हटकर खास बात यह कि सूचना आयुक्त के रूप में आत्मदीप ने सोशल मीडिया का भरपूर सदुपयोग करने का आगाज किया। उन्होंने फोन फेसबुक व्हाट्सएप ईमेल मैसेंजर इंस्टाग्राम आदि के जरिए लोगों और अधिकारियों कर्मचारियों के आरटीआई संबंधी सवालों के जवाब देने का और उन्हें मांगा गया परामर्श देने का सिलसिला शुरू किया। सूचना आयुक्त पद पर अपना 5 साल का कार्यकाल श्रेयस्कर ढंग से पूरा करने के बाद भी, आत्मदीप ने यह जनहितकारी सिलसिला अब भी अनवरत जारी रखा है। घर बैठे आरटीआई संबंधी जानकारियां मुफ्त में हासिल करने के लिए देश विदेश के हजारों लोग इस सुविधा का लगातार लाभ ले रहे हैं।
एक और नई पहल करते हुए आत्मदीप ने सूचना आयुक्त के रूप में “राइट टू इनफार्मेशन (जर्नलिस्ट)” नाम से फेसबुक पेज भी शुरू किया। इस पेज पर कोई भी नागरिक व अधिकारी कर्मचारी आईटीआई संबंधी कोई भी जानकारी या सलाह निशुल्क प्राप्त कर सकता है। इस फेसबुक पेज को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों के और भारत के विभिन्न राज्यों के हजारों लोग नियमित रूप से फॉलो कर रहे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
संभवतः देश में यह पहला अवसर है, जब कोई सूचना आयुक्त सेवानिवृत्त होने के बाद भी जनहित में अपनी सेवाएं नियमित रूप से व निशुल्क दे रहे हैं। मिशनरी भावना से जनसेवा की अनूठी मिसाल है यह। काश, सार्वजनिक व संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य महानुभाव भी इससे प्रेरणा लेकर, अपनी योग्यता व क्षमता का अधिकतम लाभ जनता को देने का सद्प्रयास करें।
Bahut nek kaam... very good initiative for the Public
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