संसार में विरक्त ज्ञानी भक्त को छोड़कर कोई दूसरा सुखी नहीं है। संसार जैसा आज है ऐसा ही पहले था और आगे भी रहेगा । दुःखमय संसार है सुख का आभास मात्र है। संसार से मन को हटाकर संसार के रूप को समझा जा सकता है। ईश्वर में मन लगाकर ईश्वर को समझा जा सकता है। संसार से हटे बिना मन रामजी में नहीं लगेगा। रामजी में मन लगे बिना संसार नहीं छूट सकता है। धीरे धीरे नाम, रूप, लीला, धाम में मन लगाना चाहिए। भक्त का संसार भगवन्मय होता है अतः वह संसार परिवार में सुखी रहता है।
पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
परासोली, गोवर्धन,