जीवन में सज्जन पुरुषों का संपर्क बैकुण्ठ है। विषयी, कामी, संसारी पुरुषों का संबंध ही नरक है। संसार में संसारी पुरुषों से उतना ही सम्पर्क रखना चाहिए जितना लोक व्यवहार में अति आवश्यक हो। मन में उन संसारी लोगों को स्थान नहीं देना चाहिये। उनकी उपेक्षा करनी चाहिए। भगवान में, भक्ति में मन-बुद्धि लगाना चाहिए।
पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
परासोली, गोवर्धन