दीपक तिवारी
ब्रज धाम की पांच दिनी यात्रा के बाद एमपी धमाका शुक्रवार को विश्व के सबसे प्राचीन और सबसे विशाल महाभारत कालीन शिव मंदिर भोजपुर पहुंचा और वहां के रहस्यों के बारे में जानने की कोशिश की।
भोजपुर का यह प्राचीन मंदिर विदिशा से 80 (भोपाल से 30) किलोमीटर दूर है। मनोरम पहाड़ी पर बना मंदिर भोजपुर पहुंचते ही दूर से दिखाई देने लगता है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु और पर्यटक भगवान की पूजा अर्चना करना नहीं भूलते। शंकर जी को अर्पित करने के लिए फूल प्रसाद की दुकानें भोजपुरी में मंदिर तक सजी हुई हैं।
भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के बाद एमपी धमाका ने मंदिर के पुजारी से बातचीत की। बताते हैं कि जिस चबूतरे पर यह विशालकाय शिवलिंग टिका हुआ है, वह इतना ऊंचा है कि पुजारी को सीढ़ी लगाकर ऊपर जाना होता है। यह मंदिर चार बड़े स्तंभों पर टिका हुआ है.श।
पुजारी जी ने बताया कि इस मंदिर को एक ही रात में बनाना था, जिसके कारण सूर्योदय तक इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका। इसके बाद आज तक यह मंदिर अधूरा है। जानकारी के अनुसार, सूर्योदय तक सिर्फ इसके ऊपर के गुंबद का काम ही पूरा हो पाया और उसके बाद से यह मंदिर अधूरा ही रह गया है।
यहां की एक और कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है। पांडवों के अज्ञातवास के समय माता कुंती ने भोजपुर मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की थी। साल भर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। मकर सक्रांति और शिवरात्रि के वक्त पर मेला लगता है। लाखों भक्त यहां भगवान से अपनी मुराद की कामना लेकर आते हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए फूल प्रसाद के अलावा चाय नाश्ते के रेस्टोरेंट खुले हुए हैं।